देश की राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार (6 नवम्बर) को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गयी जहां पराली जलाये जाने वाले क्षेत्रों से लगातार हवा बहकर इधर आ रही है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए आगाह किया कि इस दिवाली पर पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषणकारी पटाखे फोड़े जाने के बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 394 के स्तर पर दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। बोर्ड ने कहा कि सोमवार को एक्यूआई 434 के स्तर पर गंभीर श्रेणी में रिकार्ड किया गया था जो इस मौसम का अब तक का सर्वाधिक था। मंगलवार को दिल्ली में पीएम2.5 कणों का स्तर 243 वहीं पीएम10 का स्तर 372 दर्ज किया गया।
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पीएम2.5 का स्तर 237 और पीएम10 का स्तर 366 दर्ज किया गया। दिल्ली में 12 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ दर्ज की गयी, वहीं 13 इलाकों में ‘बहुत खराब’ दर्ज की गयी।
अधिकारी लगातार बने हुए प्रदूषण की वजह हवा की दिशा को बताते हैं जो पंजाब और हरियाणा के उन इलाकों से बह रही है जहां पराली जलाई जाती है। केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़कर ‘गंभीर और आपात’ श्रेणी में जा सकती है।
बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘‘अच्छा’’ माना जाता है, 50 से 100 के बीच ‘‘संतोषजनक’’, 101 से 200 के बीच ‘‘मध्यम’’ श्रेणी का, 201 से 300 के बीच ‘‘खराब’’, 301 से 400 के बीच ‘‘बेहद खराब’’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘‘गंभीर’’ माना जाता है।