सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और ऐक्टिविस्ट प्रशांत भूषण कोरोना वैक्सीन के खिलाफ किए गए अपने ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए, लोग उनकी आलोचना करते हुए उन्हें ट्रोल कर रहे है। प्रशांत भूषण ने कई ट्वीट पोस्ट करके यह भी खुलासा किया कि, उन्होंने न तो कोई कोविड वैक्सीन ली है, और ना ही उनका ऐसा कोई इरादा है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की बजाय टीके से जान गंवाने की संभावना अधिक है।
प्रशांत भूषण ने सोमवार (28 जून) को अपने ट्वीट में लिखा, “दोस्तों और परिवार सहित बहुत से लोगों ने मुझ पर वैक्सीन की हिचकिचाहट को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, मुझे अपनी स्थिति स्पष्ट करने दें। मैं वैक्सीन विरोधी नहीं हूं लेकिन मेरा मानना है कि प्रायोगिक और परीक्षण न किए गए टीके के टीकाकरण को बढ़ावा देना गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर युवा और कोविड से ठीक हुए लोगों के लिए।”
प्रशांत भूषण ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, “स्वस्थ युवाओं में कोविड के कारण गंभीर प्रभाव या मृत्यु की संभावना बहुत कम होती है। वैक्सीन के कारण उनके मरने की संभावना अधिक होती है। कोरोना से रिकवर होने वालों की नैचुरल इम्युनिटी, वैक्सीन की तुलना में कहीं बेहतर होती है। वैक्सीन उनकी नैचुरल इम्युनिटी से समझौता भी कर सकते हैं।”
The healthy young have hardly any chance of serious effects or dying due to covid. They have a higher chance of dying due to vaccines. The covid recovered have much better natural immunity, than the vaccine gives them. Vaccines may even compromise their acquired natural immunity.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 28, 2021
वहीं, उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए लिखा कि बच्चों को कोविड का टीका नहीं लगवाना चाहिए। स्थिति खराब है। बायोमेडिकल एथिक्स की अवहेलना की जा रही है। विज्ञान मर चुका है। नूर्नबर्ग कोड का उल्लंघन करते हुए माता-पिता को गलत जानकारी दी जाती है। प्रशांत भूषण के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि जो बातें वह कह रहे हैं उसके समर्थन में कोई तथ्य है?
"The situation is bleak.Biomedical ethics are being disregarded. Science is dead. Parents are misinformed&manipulated, violating Nuremberg code.Children are being sacrificed at the altar of Big Pharma."
10 reasons why children should not get Covid Vaccineshttps://t.co/p4dkwm4PCW— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 28, 2021
गौरतलब है कि, कोरोना वायरस की तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए अधिक से अधिक वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा लेकिन वहीं टीके को लेकर विवाद भी नहीं थम रहा। भारत सरकार की ओर से टीकाकरण को लेकर जारी रोडमैप के अनुसार, इस साल दिसंबर के अंत तक सभी लोगों का वैक्सीनेशन पूरा कर लिया जाएगा। राज्य और केंद्र सरकार की ओर से बार-बार अपील की जा रही है कि वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर लोग जल्द से जल्द टीका लगवा लें।