कांग्रेस ने शनिवार(17 मार्च) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) की विश्वनीयता पर उठे सवालों व छेड़छाड़ की शिकायतों के मद्देनजर को देखते हुए कहा कि, चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया में विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) की बजाय दोबारा से बैलेट पेपर से मतदान कराना चाहिए, ताकि चुनाव को लेकर लोगों में विश्वास बना रहे।
न्यूज़ एजेंसी यूनीवार्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मोदी सरकार के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है तथा चुनाव इलेक्ट्रानिक मतदान मशीन की बजाय मतपत्रों से कराने की मांग की है। पार्टी के 84वें महाधिवेशन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने के सरकार के प्रस्ताव को संविधान की दृष्टि से अनुचित और अव्यवहारिक करार दिया गया।
राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि, ‘एक साथ चुनाव कराने की भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की चाल गलत है। यह संविधान की दृष्टि से अनुचित है और व्यवहारिक भी नहीं है। इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिनकी पूरी तरह से पड़ताल की जानी चाहिए और इस पर राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए।’ पार्टी ने इलेक्ट्रानिक मतदान मशीनाें को लेकर राजनीतिक दलों और आम लोगों में उठ रही शंकाओं का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग से चुनाव मतपत्रों से कराने का पुराना तरीका अपनाने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया ‘निर्वाचन आयोग के पास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी होती है। चुनावी व्यवस्था में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए मतदान और मतगणना, दोनो प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। जनमत के विपरीत, परिणामों में हेराफेरी करने के लिए ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक दलों और आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं। निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को मतपत्र के पुराने तरीके को फिर से लागू करना चाहिए, क्योंकि अधिकांश प्रमुख लोकतंत्रों ने ऐसा ही किया है।’
गौरतलब है कि, पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, और मणिपुर विधानसभा चुनावों के बाद तमाम राजनीतिक दलों की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद से ईवीएम पर जारी घमासान अभी भी जारी है और यह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले दिनों गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी ईवीएम को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए थे।
बता दें कि, देश की कई और राष्ट्रीय पार्टियां हैं जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के खिलाफ हैं, EVM पर भरोसा खोने वाली अरिंद केजरीवाल की पार्टी के साथ-साथ यूपी की सपा और बसपा भी इसी पक्ष में है कि देश में चुनाव के तौर-तरीके बदले जाएं।
बता दें कि, पिछले दिनों ‘जनता का रिपोर्टर’ के खुलासे में यह पता चला था कि 20,000 करोड़ रुपये के गैस घोटाले के लाभार्थियों को अमेरिकी कंपनी से जोड़ा जा सकता है जो भारतीय ईवीएम के लिए माइक्रोचिप्स बना रहा था। हमारी रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ था कि, विदेशी निर्माताओं द्वारा माइक्रोचिप्स के साथ छेड़छाड़ की संभावना कैसे हो सकती है।