अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान को राष्ट्रीय राजधानी में आवंटित बंगला ‘12 जनपथ’ से बेदखल किए गए लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने शनिवार को कहा कि इस घटनाक्रम में उन्हें साजिश की बू आती है। इसके साथ ही उन्होंने चाचा पशुपति कुमार पारस पर भी निशाना साधा।

दिल्ली के जिस बंगले में राम विलास पासवान 30 वर्ष से अधिक समय तक रहे, उसे उनके निधन के एक साल से अधिक वक्त के बाद सरकार ने खाली करा लिया। चिराग पासवान को यह बंगला पसंद था और वे चाहते थे कि इसे उनके पिता के नाम पर स्मारक बना दिया जाए। हालांकि, सरकार की ओर से नोटिस मिलने के बाद उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ा। इस पूरे वाकये पर पहली बार खुद चिराग पासवान ने खुलकर अपनी बात रखी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, पासवान ने आरोप लगाया कि जिस दिन उन्हें उस बंगले से बाहर किया गया, उससे एक दिन पहले तक उन्हें एक ‘शीर्ष केंद्रीय मंत्री’ ने आश्वासन दिया था कि उन्हें घर नहीं छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने संदेह जताया कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘अपमानित’ करने के लिए कोई भूमिका अदा की है?
पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को भी निशाना बनाया और कहा कि उनके चाचा दिवंगत ‘रामविलास पासवान की स्मृति को अपमानित करने के कुत्सित प्रयासों’ में मूकदर्शक बने रहे।
उन्होंने कहा कि उन्हें बंगले से बेदखल किए जाने से एक रात पहले एक कैबिनेट मंत्री ने बुलाकर आश्वस्त किया था कि वह (पासवान) उसी बंगले में रुकेंगे। पासवान ने कहा कि उस मंत्री ने एक अधिकारी को फोन करके कहा था, ‘‘चिराग पर कठोर रवैया न अपनाएं, क्योंकि वह बिहार के भविष्य हैं।’’
पासवान ने कहा कि वह कोई ऐरा-गैरा मंत्री नहीं था, बल्कि शीर्ष पांच मंत्रियों में शामिल व्यक्ति था। उन्होंने कहा कि समय आने पर वह उस मंत्री का नाम भी उजागर कर सकते हैं।
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