आज रात चांद पर उतरेगा चंद्रयान-2 का ‘विक्रम’ लैंडर, पीएम मोदी बोले- बेहद उत्साहित हूं, पूरा देश देखे यह ऐतिहासिक पल

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चंद्रयान के चांद की सतह पर उतरकर इतिहास बनाने में अब कुछ ही घंटे बचे हैं। आज रात 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच हमारा चंद्रयान-2 चांद पर उतरेगा। ऐसे में वैज्ञानिकों के साथ सभी की नजरें इस ऐतिहासिक दृश्य को देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं। चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर प्रस्तावित सॉफ्ट लैंडिंग से कुछ घंटों पहले इसरो अध्यक्ष के सिवन ने शुक्रवार को बताया कि इस बहुप्रतीक्षित लैंडिंग के लिए चीजें योजना के अनुसार आगे बढ़ रही हैं।

चंद्रयान-2

इसरो अध्यक्ष के सिवन ने शुक्रवार को कहा, ‘‘हम इसका (लैंडिंग का) बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा है।’’ ‘विक्रम’ देर रात डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। ‘विक्रम’ के अंदर रोवर ‘प्रज्ञान’ होगा जो शनिवार सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच लैंडर के भीतर से बाहर निकलेगा। सॉफ्ट लैंडिंग का दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात एक बजकर 10 मिनट से सीधा प्रसारण किया जाएगा। इसे इसरो की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर भी प्रसारित किया जाएगा।

इस मिशन से जुड़े एक अधिकारी ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘निश्चित ही पूरी (चंद्रयान-2) टीम के मन में घबराहट है क्योंकि यह एक जटिल अभियान है और हम पहली बार ऐसा कर रहे हैं।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘सेंसरों, कम्प्यूटरों, कमांड प्रणालियों.. सभी का अच्छी तरह काम करना आवश्यक है, लेकिन हमने जमीन पर कई आभासी परीक्षण किए हैं जिससे हमें यह भरोसा मिलता है कि सब सही होगा।’’ उन्होंने ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ को ‘बच्चे को पालने में रखने के समान बताया’ और कहा ‘इसे लेकर थोड़ी घबराहट है लेकिन शंका नहीं है।’

चंद्रयान-2 के ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनें देशवासी: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता के जरिए इसरो द्वारा देशभर से चुने गए दर्जनों छात्र-छात्राएं, बड़ी संख्या में मीडिया कर्मी और अन्य इसरो टेलीमेंट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के जरिए यहां इस ऐतिहासिक लम्हे का सीधा नजारा देखेंगे। भारत जब चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश करेगा तो सभी की नजरें लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ पर टिकी होंगी।

पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि वे ऐतिहासिक सफर पर गये चंद्रयान-2 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के विशेष क्षणों का आनंद लें और इसके फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करें जिन्हें वे खुद रीट्वीट करेंगे। प्रधानमंत्री खुद भी इसरो के बेंगलुरू स्थित मुख्यालय में वैज्ञानिकों के साथ इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनेंगे। उनके साथ देश भर के स्कूलों के करीब 70 छात्र भी होंगे। आठवीं से लेकर 10वीं तक के इन छात्रों का चयन एक क्विज के जरिये किया गया है। मोदी ने चंद्रयान-2 मिशन को लेकर अपनी उत्सुकता जाहिर करते हुए सिलसिलेवार ट्वीट किये हैं।

उन्होंने लिखा है, ‘‘जिस क्षण का 130 करोड़ भारतीय बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वह आ गया है। अब से कुछ घंटे बाद चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। भारत और दुनिया एक बार हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की असाधारण ताकत और कौशल को देखेगी।’’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘‘इसरो के बेंगलुरू केन्द्र पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास के इस असाधारण पल का गवाह बनने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। विभन्न राज्यों के युवा भी साथ में होंगे। कुछ युवा भूटान से भी आये हैं। इन युवाओं ने इसरो का स्पेस क्विज जीतकर यह मौका हासिल किया है। इस क्विज में बड़ी संख्या में युवाओं की भागीदारी से उनकी विज्ञान और अंतरिक्ष में रूचि का पता चलता है। यह बड़ा संकेत है।’’

मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि वह चंद्रयान-2 के सफर पर पहले ही दिन यानि 22 जुलाई से नजर रखे हुए हैं। यह मिशन भारतीय प्रतिभा और वैज्ञानिकों की लक्ष्य को हासिल करने की दृढता को साबित करता है। इसकी सफलता से करोड़ों भारतीयों को फायदा मिलेगा।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप चंद्रयान-2 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के विशेष क्षणों का आनंद लें और अपने फोटा सोशल मीडिया पर शेयर करें। मैं इनमें से कुछ को रीट्वीट करूंगा।’’

1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए तैयार किया गया है। यह एक चंद्र दिवस के लिए काम करेगा। एक चंद्र दिवस पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर होता है। रोवर 27 किलोग्राम वजनी छह पहिया रोबोटिक वाहन है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस है। इसका नाम ‘प्रज्ञान’ है जिसका मतलब ‘बुद्धिमत्ता’ से है। यह ‘लैंडिंग’ स्थल से 500 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और यह अपने परिचालन के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह लैंडर को जानकारी भेजेगा और लैंडर बेंगलुरू के पास ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क को जानकारी प्रसारित करेगा।

इसरो के अनुसार, लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चांद की सतह से संबंधित समझ बढ़ाएंगे। इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2’ अपने लैंडर को 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों- ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा।

लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस यानी के पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक अपने वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देगा। सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगी। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला विश्व का प्रथम देश बन जाएगा।

सिवन ने हाल में कहा था कि प्रस्तावित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ दिलों की धड़कन थाम देने वाली साबित होने जा रही है क्योंकि इसरो ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है। गौरतलब है कि ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते 15 जुलाई को टाल दिया गया था। इसके बाद 22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण की तारीख पुनर्निर्धारित करते हुए इसरो ने कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है।

इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-।।। एम 1 के जरिए 3,840 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ को प्रक्षेपित किया था। इस योजना पर 978 करोड़ रुपये की लागत आई है। ‘चंद्रयान-2’ ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को शुरू की थी। इसके बाद 20 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।

इसरो ने बताया कि यहां स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स से ‘ऑर्बिटर’ और ‘लैंडर’ की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। इस काम में ब्याललु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) की मदद ली जा रही है।

‘चंद्रयान-2’ के ‘ऑर्बिटर’ में आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करेंगे और पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के बाह्य परिमंडल का अध्ययन करेंगे। ‘लैंडर’ के साथ तीन उपकरण हैं जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। वहीं, ‘रोवर’ के साथ दो उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटाएंगे।

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