उन्नाव रेप मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और एक आईएएस अफसर और दो आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। बता दें कि, पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर इस मामले में आरोपी है। सेंगर ने साल 2017 में एक नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म का आरोप है। जिसके बाद जांच में लापरवाही को देखते हुए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।
घटना के वक्त आईएएस अफसर उन्नाव में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर पदस्थ थे। दो आईपीएस अफसर भी वहीं पदस्थ थे। सीबीआई ने तीनों को काम में लापरवाही का दोषी पाया है। जांच के दौरान तीनों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने के बाद सीबीआई ने सरकार को इनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की। इस मामले में मखी कोतवाली पुलिस स्टेशन का एसएचओ दोषी पाए जाने के बाद से जेल में है।
सीबीआई इसी मामले में उन्नाव के विधायक रह चुके कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई समेत अन्य आरोपियों को दोषी ठहरा चुकी है। सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर सेंगर को आजीवन कारावास की सजा भी हो चुकी है। सजा होने के कारण उनकी विधानसभा की सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी।
बता दें कि, जून 2017 को रेप पीड़िता ने तत्कालीन भाजपा विधायक सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था, उस समय पीड़िता नाबालिग थी। बाद में रायबरेली में सड़क हादसे में रेप पीड़िता को कथित तौर पर जान से मारने की कोशिश भी की गई थी। पीड़िता की कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दिया था, जिसमें उसके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी और वह और उनका वकील गंभीर रूप से घायल हो गया थे। पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से विमान से दिल्ली स्थित एम्स लाया गया।पीड़िता को दिल्ली में ठहराया गया है और वह सीआरपीएफ की सुरक्षा में है।
उन्नाव रेप केस में सेंगर पहले ही दोषी साबित हो चुके हैं। 16 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को धारा 376 और पॉक्सो के सेक्शन 6 के तहत दोषी ठहराया था। 17 दिसंबर को सजा पर बहस की गई थी और 20 दिसंबर को सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ-साथ 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)