कांग्रेस ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ उठाए गए कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी सहित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा को हटाए जाने को राफेल डील से जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। जिस वजह से उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने बुधवार (24 अक्टूबर) को ट्वीट कर लिखा है, “CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया। प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा। देश और संविधान खतरे में हैं।”
CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया।
प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा।
देश और संविधान खतरे में हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 24, 2018
वहीं, दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को लगता है कि आलोक वर्मा को हटाए जाना और राफेल डील में कुछ तो संबंध है। अपने ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा है, ‘क्या राफेल डील और आलोक वर्मा को हटाने के बीच कोई संबंध है? क्या आलोक वर्मा राफले में जांच शुरू करने जा रहे थे, जो मोदी जी के लिए समस्या बन सकती थी?
Is there a co-relation betn Rafale deal and removal of Alok Verma? Was Alok Verma about to start investigations into Rafale, which cud become problem for Modi ji?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 24, 2018
इसके अलावा कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश की प्रमुख जांच एजेंसी की आजादी में आखिरी कील ठोंक दी है और सवाल किया कि क्या यह कदम राफेल मामले को दबाने के लिए उठाया गया है? सुरजेवाला ने हैरत जाहिर करते हुए सवाल किया कि क्या वर्मा को, राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने की उत्सुकता की वजह से ‘हटाया’ गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में जवाब भी मांगा। कांग्रेस प्रवक्ता ने बुधवार को ट्वीट करके कहा, “मोदी ने सीबीआई की आजादी में आखिरी कील ठोंक दी और इसी के साथ इस एजेंसी की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और ईमानदारी का अंंत सुनिश्चित कर दिया गया।”
Modi Govt buries the ‘last nail’ into the independence of CBI.
Systematic dismantling & denigrating of CBI is now complete.
Once a premier investigating agency, PM ensures that CBI’s integrity, credibility & reliability is ‘buried & dead’. 1/n pic.twitter.com/11b451jYBV
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 24, 2018
एक के बाद एक सिलसिलेवार ट्वीट में सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने प्रमुख ‘मोदी मेड गुजरात मॉडल’ का सच्चा रंग दिखा दिया। उन्होंने कहा ,“सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री सीधे बर्खास्त नहीं कर सकते थे इसलिए उन्हे चुपके से और गुप्त रूप से इस काम को अंजाम देना चाहते थे। विभिन्न गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में बाधा डालने की बीजेपी और मोदी सरकार की आदतों के कारण यह कदम उठाया गया है। क्या वर्मा को राफेल घोटाले की परत -दर- परत उधेड़ने में उत्सुक्ता दिखाये जाने के करण हटाया गया है? इसके बाद जो हुआ वह क्या सबकुछ ढ़कने के लिए एक ओछा कदम नहीं है?”
2/n
PM Modi seeks to achieve surreptitiously & clandestinely what he can’t do directly to sack the CBI Director.Habitual and perpetual misuse of CBI by Modi Govt & BJP to tamper fair investigation of serious criminal cases is the reason for this unfathomable mess. pic.twitter.com/iH6fgeCtKI
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 24, 2018
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीबीआई को बर्बाद कर अपना कुख्यात ‘मोदी मेड गुजरात मॉडल’ का असली रंग दिखाया है। क्या सीबीआई निदेशक को राफेल घोटाले की जांच की उत्सुकता की वजह से हटाया गया है? क्या यह एक घटिया लीपापोती है? प्रधानमंत्री जवाब दें।
3/n
PM Modi has demonstrated the true colour of his infamous ‘Modi Made Gujarat Model’ by this cloak-and-dagger mugging of CBI.Has the CBI Director been sacked for his keenness to probe the layers of corruption in Rafale Scam? Isn’t the rest a shoddy cover up?
Let PM answer! pic.twitter.com/80ckyFiOJX
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 24, 2018
गौरतलब है कि सीबीआई में आतंरिक कलह के मद्देनजर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जांच एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। जबकि सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतिरम निदेशक नियुक्त कर दिया है। कार्मिक विभाग की मंगलवार (23 अक्टूबर) रात जारी अधिसूचना में कहा गया कि राव तत्काल प्रभाव से निदेशक का कार्यभार संभालेंगे।
दोनों अधिकारियों की छुट्टी
इस समय देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) खुद सवालों के घेरे में आ गई है। सीबीआई के दो सीनियर अधिकारी एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। सीबीआई में आतंरिक कलह के मद्देनजर मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना दोनों को छुट्टी पर भेज दिया है। साथ ही वर्मा से सारे अधिकार वापस ले लिए हैं। वहीं, सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त कर दिया है। इस फैसले को सरकार का इस मुद्दे पर बड़ा एक्शन माना जा रहा है।
केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आलोक वर्मा
इस बीच केंद्र के इस कदम के खिलाफ आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया। यह सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ वर्मा की दलीलों से सहमत हुई और कहा कि याचिका पर 26 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी। सीबीआई प्रमुख वर्मा ने संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का प्रभारी निदेशक नियुक्त किए जाने के फैसले को भी चुनौती दी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मीट कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित तौर पर तीन करोड़ रुपये घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है। वहीं, राकेश अस्थाना ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाया है। दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
एफआईआर में अस्थाना पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। राकेश अस्थाना को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी, जिसे रुकवाने के लिए उन्होंने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया था कि अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर यथास्थिति बनाई रखी जाए। अस्थाना ने रिश्वतखोरी के आरोप में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी है।
वर्मा और अस्थाना के बीच हाल में विवाद गहरा गया, जिसके बाद सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में अपने ही विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। इस सिलसिले में सीबीआई ने अपने ही पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) देवेंदर कुमार को गिरफ्तार भी किया है। मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को कुमार को सात दिनों तक हिरासत में रखकर पूछताछ करने की इजाजत दे दी।