दिल्ली हिंसा पर लोकसभा में चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद मीनाक्षी लेखी ने बुधवार (11 मार्च) को एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को खुफिया ब्यूरो (आईबी) से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर स्थानांतरित किया जा रहा है। संसद में बोलते हुए, भाजपा सांसद ने यहां तक सुझाव दिया कि कुछ न्यायाधीशों पर आईबी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

दिल्ली हिंसा पर लोकसभा में बयान देते हुए भाजपा सांसद मीनाक्षा लेखी ने कहा कि, “कुछ न्यायाधीशों (जजों) का मानना है कि जब तक धरना हिंसात्मक ना हो, तब तक पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी। अब धरना कब हिंसात्मक होगा यह बैठकर कौन तय करेगा। यह कौन तय करेगा और जिन न्यायाधीशों के इन्होंने नाम लिए इनको बहुत एक्सपीरियंस है जजस की अपॉइंटमेंट से लेकर बाकी चीजों को लेकर। इनको यह नहीं पता कि बिना रिकमेंडेशन के सरकारें ट्रांसफर नहीं करतीं और ट्रांसफर (एस मुरलीधर का) ही किया था, ट्रांसफर तो पहले हो चुका था।”
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर के मामले में कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा तबादला किए जाने के मामले में मीनाक्षी लेखी ने जवाब देते हुए कहा, “मैं तो कहूंगी एक दिन, कि आईबी की जो रिपोर्ट्स हैं कुछ लोगों के बारे में उनको पब्लिक (सार्वजनिक) कर देना चाहिए। उसी से इन सब को समझ में आ जाएगा कि इनका ट्रांसफर क्यों करके हुआ है।”
बता दें कि, जब जस्टिस मुरलीधर का तबादला हुआ था उस समय कई भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार केवल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर काम कर रही हैं। हालांकि, मीनाक्षी लेखी ने अपने भाषण में किसी भी जज का नाम नहीं लिया, लेकिन वे किस जज की बात कर रही हैं जिनका तबादला आईबी की रिपोर्ट के बाद हुआ।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के इस बयान पर कानूनी विशेषज्ञों ने अपनी कड़ी प्रतिक्रियाएं दी है। सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा, “मीनाक्षी लेखी लोकसभा में कहती हैं कि आईबी रिपोर्ट के आधार पर जजों के तबादले किए जा रहे हैं! क्या कोई संदेह बचा है कि मोदी सरकार आईबी का उपयोग न्यायपालिका को धोखा देने के लिए कर रही है?”
Meenakshi Lekhi says in Lok Sabha that Judges transfers are being made on the basis of IB reports! Is there any doubt left that the Modi govt is using the IB to browbeat the judiciary?
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) March 11, 2020
बता दें कि, जस्टिस मुरलीधर का उस दिन तबादला कर दिया गया जब उन्होंने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के कथित रूप से हिंसा भड़काने वाले बयानों को कोर्ट में सुनाने के लिए कहा था और उस पर कड़ा स्टैंड लिया था। बता दें कि, दिल्ली दंगे में 50 से अधिक लोग मारे गए और 500 से अधिक घायल हो गए।