“राफ़ेल के भ्रष्टाचार से बचने के लिये कितनी चाल चलेंगे मोदी जी?”, आलोक वर्मा को हटाए जाने पर AAP नेता संजय सिंह का ट्वीट

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) प्रमुख आलोक वर्मा को उनके पद हटाए जाने के बाद से ही सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। आलोक वर्मा को हटाए जाने पर सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार पर विपक्षी पार्टियां हमलावर है। बता दें कि एक अभूतपूर्व कदम के तहत आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से गुरुवार (10 जनवरी) को हटा दिया गया। उनको हटाने का फैसला तीन सदस्यीय एक उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा 2-1 के बहुमत से लिया गया।

आलोक वर्मा

आलोक वर्मा को हटाए जाने पर आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी जी राफ़ेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करके फ़ैसला ले लेते हैं। राफ़ेल के भ्रष्टाचार से बचने के लिये कितनी चाल चलेंगे मोदी जी?

संजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा, “मोदी जी राफ़ेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करके फ़ैसला ले लेते हैं, सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को बहाल करता है मोदी जी ने फिर वर्मा को हटा दिया राफ़ेल के भ्रष्टाचार से बचने के लिये कितनी चाल चलेंगे मोदी जी? लेकिन CJI को क्या हो गया है अब लोकतंत्र ख़तरे में नही?”

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) की नेता व चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने ट्वीट कर लिखा, “पहले CBI डायरेक्टर नियुक्त किया। मोहरा बनने से इंकार करने पर असंवैधानिक तरीके से छुट्टी पर भेज दिया गया, कोर्ट ने काम पर वापस भेज दिया। मोहरा बन काम नही करेगा, इसलिये रिटायरमेंट से मात्र 20 दिन पहले लोकतांत्रिक तरीके से हटा दिया। बात हटाने की नही, 20 दिन पहले हटाने की है।”

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के महज दो दिन बाद पद से हटाए जाने पर आलोक वर्मा ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया है कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है। वर्मा ने गुरुवार देर रात पीटीआई को जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए।

पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।’’ वर्मा ने ‘‘अपने विरोधी एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों’’ के आधार पर समिति द्वारा तबादले का आदेश जारी किए जाने को दुखद बताया।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को वर्मा को पद से हटा दिया। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी हैं। सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है। जबकि सीबीआई निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है।

वर्मा ने कहा कि समिति को सीबीआई निदेशक के तौर पर उनके भविष्य की रणनीति तय करने का काम सौंपा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और यदि मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा।’’

बता दें कि जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद वर्मा बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे। सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था।

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