मध्य प्रदेश की सियासी जंग में नया मोड़, 8-9 बागी कांग्रेस विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नाराज

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मध्य प्रदेश की राजनीति में चल रहे सियासी उथल-पुथल के बीच एक नया मोड़ सामने आया है, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा झटका लग सकता है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 8 से 9 बागी कांग्रेस विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नाराज चल रहे हैं। वहीं, कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 10 विधायक और 2 मंत्री भाजपा में जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। उनका कहना है कि हम लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए आए थे, भाजपा में जाने के लिए नहीं।

इस बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने अपने पार्टी के 19 विधायकों के साथ बैठक की, जिन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, कोई भी सिंधिया जी के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं, उनकी रगों में कांग्रेस का खून है। महाराज खुद बनने के लिए दूसरे लोगों की बलि चढ़ाएं ये कैसे संभव है ये वो विधायक समझ गए। उन्होंने कहा कि उन्हें गुमराह किया गया और बेंगलुरु ले जाया गया, ज्यादातर ने कहा कि वे भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं। हमें कोई डर नहीं है। भाजपा के 7 से 8 विधायक हमारे संपर्क में हैं।

बता दें कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार (11 मार्च) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है।

उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह कांग्रेस में रहते हुए अपने राज्य और देश की सेवा नहीं कर पा रहे हैं और अब उनके लिए आगे बढ़ने का मौका है। सूत्रों के मुताबिक, ज्योतिरादित्य सिंधिया जल्द की अपने समर्थकों एवं कांग्रेस के कई विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

गौरतलब है कि, मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें फिलहाल खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है। उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी।

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