भारत के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान ‘भारत रत्न’ को लेकर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच, अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारत रत्न पर सवाल उठाए हैं।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम में भारत रत्न पर सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘मुझे यह बताओ कि जितने भारत रत्न अवॉर्ड दिए गए उसमें से कितने दलित, आदिवासी, मुसलमानों, गरीबों, ऊंची जाति और ब्राह्मणों को दिए गए? बाबा साहब को भारत रत्न दिया गया पर दिल से नहीं दिया गया मजबूरी की हालत में दिया गया।’
Asaduddin Owaisi at an event in Maharashtra y'day: Mujhe yeh batao ki jitne Bharat Ratna ke award diye gaye usmein se kitne dalit, adivasi, musalmanon, garibon, upper caste aur Brahminon ko diye gaye? Babasaheb ko Bharat Ratna diya par dil se nahi diya majboori ki halat mein diya pic.twitter.com/8P0V0Ncr3H
— ANI (@ANI) January 28, 2019
बता दें कि इससे पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अपील की है कि अगले साल से भारत के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान ‘भारत रत्न’ से संन्यासी और संतों को भी नवाजा जाए। रामदेव ने आरोप लगाया है कि मदर टेरेसा को इसलिए भारत रत्न पुरस्कार दिया गया, क्योंकि वह ईसाई थीं। लेकिन 70 सालों में एक भी संन्यासियों को यह पुरस्कार नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या भारत में हिंदू होना गुनाह है?
रामदेव ने कहा था कि, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 70 सालों में एक भी संन्यासी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया। चाहे वह महर्षि दयानंद सरस्वती हों, स्वामी विवेकानंद जी, या शिवकुमार स्वामी जी। देश को बड़ा योगदान देने वाले इन संन्यासियों को भी भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए था।’ उन्होंने कहा कि मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि अगली बार कम से कम किसी सन्यासी को भी भारत रत्न दिया जाए।
रामदेव ने आगे कहा, ‘महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद का योगदान राजनेताओं या कलाकारों से कम है क्या? आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला? मदर टेरेसा को दे सकते हैं क्योंकि वह ईसाई हैं, लेकिन संन्यासियों को नहीं क्योंकि वे हिंदू हैं, इस देश में हिंदू होना गुनाह है क्या?’