गत्ते में जवानों के शव की तस्वीर आने के बाद सेना ने 17 साल से गोदाम में बंद पड़े बॉडी बैग और ताबूत मांगे

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पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सात जवानों की मृत्यु होने के सैनिकों के शव प्लास्टिक की बोरियों में लपेटे जाने और कार्डबोर्ड में बंधे होने की तस्वीरें वायरल होने के बाद लोगों में खूब आक्रोश देखने को मिला। इस प्रकरण के बाद सेना ने 900 बॉडी बैग और 150 ताबूत की मांग की है, जो पिछले 17 सालों से एक गोदाम में बंद पड़े हैं।न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, सेना ने एक गोदाम में 1999 से पड़े 900 बॉडी बैग और 150 ताबूत जल्द सौंपे जाने की मांग की है। दरअसल, चार लाख डॉलर के घूस के आरोपों और उसके बाद हुई सीबीआई जांच के मद्देनजर ये बॉडी बैग और ताबूत गोदाम में पड़े हुए हैं।

सेना ने इन बॉडी बैग और ताबूतों की मांग उस वक्त की है, जब पिछले सप्ताह सात जवानों के शव प्लास्टिक के बोरियों में लपेटे जाने और गत्तों में रखे जाने की तस्वीर सामने आई थी, जिससे लोगों में आक्रोश पैदा हो गया था। बीते शुक्रवार(6 अक्टूबर) को तवांग में एमआई-17 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से इन जवानों की मौत हो गई थी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सेना ने सीबीआई से फिर आग्रह किया है कि वह बॉडी बैग और ताबूत सौंपे जाने में मदद करे। यह मामला 2013 में बंद हो गया था। इस बारे में संपर्क किए जाने पर सीबीआई सूत्रों ने कहा कि इस मामले पर विचार किया जा रहा है।

बता दें कि कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन एनडीए सरकार ने 3000 बॉडी बैग और 500 ऐल्युमिनियम ताबूत की खरीद का आदेश दिया था। रिश्वत के आरोप लगने के बाद सौदे को रद्द कर दिया गया, लेकिन तब तक 900 बॉडी बैग और 150 ताबूतों की आपूर्ति हो चुकी थी।

उस वक्त यह मामला करगिल ताबूत घोटाले के रूप में काफी उछला था। तब सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। दिल्ली की एक अदालत ने 2013 में तीन पूर्व आर्मी अधिकारियों इस मामले में बरी किया था। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इन आर्मी अधिकारियों के नाम शामिल किए थे।

शहीद जवानों के शव प्लास्टिक की बोरियों में लपेटे जाने पर लोगों में आक्रोश

बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में शुक्रवार(6 अक्टूबर) को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सात जवानों की मृत्यु होने के दो दिन बाद इन सैनिकों के शव कथित तौर पर प्लास्टिक की बोरियों में लपेटे जाने और कार्डबोर्ड में बंधे होने की तस्वीरें सोमवार(9 अक्टूबर) को सामने आईं जिसे लेकर लोगों में आक्रोश फैल गया।

तस्वीर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था। उत्तरी सैन्य कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस पनाग ने शवों की तस्वीर के साथ अपने ट्वीट में कहा था, ‘‘सात युवा अपनी मातृभूमि भारत की सेवा करने के लिए कल दिन के उजाले में निकले। और वे अपने घर इस तरह आए।’’

वहीं, क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी इस घटना को शर्मनाक करार देते हुए ट्विटर पर निराशा व्यक्त किया था। गंभीर ने ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘IAF क्रैश के शहीदों के शव…शर्मनाक! माफ़ करना ऐ दोस्त, जिस कपड़े से तुम्हारा कफ़न सिलना था वो अभी किसी का बंद गला सिलने के काम आ रहा है!!!.’

सेना ने दी सफाई

विवाद बढ़ता देख इस पर सेना ने एक बयान जारी करके कहा था कि स्थानीय संसाधनों से शवों को लपेटना ‘भूल’ थी और मृत सैनिकों को हमेशा ही पूर्ण सैन्य सम्मान दिया गया है। सेना ने बयान में कहा कि पार्थिव शरीरों को बॉडी बैग्स, लकड़ी के बक्से और ताबूत में लाया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।

सेना द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में सीमित संसाधनों के कारण हेलिकॉप्टर ज्यादा भार नहीं ले जा सकते। गुवाहाटी बेस अस्पताल में पोस्टमार्टम के तुरंत बाद शवों को पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ लकड़ी के ताबूत में रखा गया। बयान में कहा गया था कि पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि देने के बाद सभी जवानों के शवों को उनके परिजन के पास भेजा गया।

 

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