दिल्ली में प्रदूषण से मरते हैं रोजाना 6 लोग – सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली में लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की वजह से औसतन रोजाना छह लोग मर रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उच्च सांद्रता वाले सल्फर ईंधनों- फर्नेस आयल और पेटकोक के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया।

एबीपी न्यूज के खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति पी सी पंत की पीठ ने बोस्टन के एक संस्थान के अध्ययन का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में एयर पॉल्यूशन से संबंधित बीमारियों से हर साल 3000 लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। पीठ ने अपने आदेश में रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि स्वास्थ्य प्रभावों पर बोस्टन के संस्थान के वर्ष 2010 के अध्ययन का आकलन है कि दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से कम से कम 3000 समयपूर्व मौतें होती हैं।

न्यायालय ने कहा कि विश्व एलर्जी ऑर्गनाइजेशन की पत्रिका ने उच्च सांस संबंधी परेशानियों के लक्षण पर वर्ष 2013 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जो कहती है कि उत्तरी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले विद्यार्थियों को 66 फीसदी, पश्चिम दिल्ली के मायापुरी में रहने वाले विद्यार्थियों को 59 फीसदी और दक्षिणी दिल्ली के सरोजनी नगर में रहने वाले विद्यार्थियों को 46 फीसदी ऐसे लक्षण हैं।

ख़बर के अनुसार, अपने पिछले निर्देश में संशोधन करते हुए न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाहनों के प्रदूषण की जांच करने वाले ‘प्रदूषण नियंत्रण में’ केन्द्रों के निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है।

 

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