उच्चतम न्यायालय ने आज नगर निगम में कर्मचारियों की हड़ताल के मामले में हस्तक्षेप के लिये दायर याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय का काम अपने हाथ में नहीं ले सकता । मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने याचिकाकर्ता राहुल बिरला से कहा कि हम दिल्ली उच्च न्यायालय का काम अपने हाथ में नहीं ले सकते। किसी अंतरिम आदेश के खिलाफ हमारे पास ना आए। साथ ही ये भी कहा कि अपनी समस्याओं के साथ वापस उच्च न्यायालय जाए।
राहुल बिरला के वकील ने इस मामले मेें अदालत से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय में प्रभावी सुनवाई नहीं हो रही है और उसने इसको 10 फरवरी तक के लिये स्थगित कर दिया है। पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि केवल इस आधार पर अपील दायर नहीं की जा सकती कि नीचे की अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी है।
सरकार ने अदालत को बताया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण पर तीनों निगमों का 1555 करोड़ रूपये से अधिक का भवन कर बकाया है। इस पर अदालत ने प्राधिकरण और केन्द्र से इस पर जवाब मांगते हुए 10 फरवरी के लिये स्थगित कर दी थी।