पिछले महीने 12 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के चार दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी प्रसिद्धि से नोटबंदी के कारण हुई परेशानी पर सिर्फ 50 दिनों में सामान्य स्थिति लाने का वादा किया था।
गोवा में दर्शकों से भरी भीड़ को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा था, “मैं सिर्फ कह रहा हूँ 50 दिन। 50 दिनों के बाद अगर फिर भी स्थिति सामान्य नहीं होती, तो देश मेरे लिए सज़ा और चौराहा तय कर ले ” मैं खुशी से सजा को स्वीकार करुंगा।”
50 दिन पूरे हो गए है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। कैश निकालने पर अब भी प्रतिबंध बना हुआ है और बैंको में पर्याप्त पैसा नहीं है। इस बीच लोगों पर जो कुछ भी नकदी थी उनसे जमा कराने के लिए उन्हें मजबूर किया गया।
इसमें कोई आश्चर्य की बात है कि वे अविश्वसनीय रूप से नीचा महसूस करते है। और प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता एक बार फिर गहन जांच के दायरे में है।
2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने वादा किया था कि हर भारतीय के बैंक खातों में 15-20 लाख रुपया पैसा जमा हो जाएगा।
कोई आश्चर्य नहीं, प्रधानमंत्री अब अपने राजनीतिक विरोधियों के गुस्से का सामना कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर उनका खूब मजाक उड़ रहा है।
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यहाँ तक कि उनके अपने ही सांसद और विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद नोटबंदी से राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में सोच कर चिंता में डाल दिया है।
मोदी एक बार फिर आज रात राष्ट्र को संबोधित करेंगे। मन में इस शर्मिंदगी के साथ, यह लगभग नामुमकिन है कि लोग उन पर फिर से विश्वास करें।