पाकिस्तान नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार मध्यरात्रि के बाद हुए मतदान में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। नेशनल असेंबली के 174 सदस्यों ने अविश्वास मत के पक्ष में मतदान किया, जबकि विपक्षी दलों को प्रस्ताव पारित करने के लिए केवल 172 मतों की आवश्यकता थी। इमरान खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है।
मतदान के समय 69 वर्षीय खान निचले सदन में उपस्थित नहीं थे और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसदों ने भी बर्हिगमन किया। हालांकि, पीटीआई के बागी सदस्य सदन में उपस्थित रहे। खान को हटाए जाने के बाद सदन के नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया।
विश्वास मत की घोषणा के बाद शहबाज शरीफ ने कहा कि उनकी सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी। उन्होंने कहा, ”हम सभी को उनके बलिदान के लिए धन्यवाद देते हैं। जब समय आएगा, हम विस्तार से बात करेंगे। मैं अतीत की कड़वाहट में वापस नहीं जाना चाहता। हमें इसे भूलकर आगे बढ़ना होगा। हम कोई बदले की कार्रवाई या अन्याय नहीं करेंगे। हम बिना वजह किसी को जेल नहीं भेजेंगे।”
बता दें कि, इमरान खान अपने देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है।
जानिए कौन हैं शहबाज शरीफ?
हालांकि, संयुक्त विपक्ष ने पहले ही ऐलान किया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ उनके संयुक्त उम्मीदवार होंगे। ऐसे में शहजाब शरीफ देश के नए प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं। शहबाज ने संकल्प जताया कि नई सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी।
शहबाज शरीफ पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं, जिन्हें निर्वासन में रहने के लिए मजबूर किया गया है। नवाज शरीफ ने तीन मौकों पर पाकिस्तान के पीएम के रूप में कार्य किया है। उनकी अनुपस्थिति में, शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
अपने भाई को 2017 में पनामा पेपर्स के खुलासे से संबंधित संपत्ति छिपाने के आरोप में दोषी पाए जाने के बाद शहबाज पीएमएल-एन के नेता बन गए थे। शरीफ के परिवार के सदस्यों ने हमेशा कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित थे।
शहबाज शरीफ का जन्म पाकिस्तान के एक धनी परिवार में हुआ था और उन्हें अक्सर अपने भाई नवाज शरीफ के साए में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। उनका परिवार पाकिस्तान की सबसे बड़ी स्टील कंपनियों में से एक का मालिक है। वह वर्तमान में कंपनी के मालिक हैं।
वह 1997 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 2000 में, जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें कैद कर लिया गया था, जिन्होंने उन्हें अपने भाई नवाज शरीफ के साथ सऊदी अरब में निर्वासन में भेज दिया था।
शहबाज सात साल बाद निर्वासन से लौटे और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी की कमान संभाली।