उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामले और चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर चिंताएँ व्यक्त की हैं और इस महामारी से निपटने के लिए सुझाव भी दिए हैं। इसके साथ ही प्रियंका गांधी प्रदेश में महामारी की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार पर सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने अपने पत्र में टीकाकरण और वैक्सीनेशन पर जोर दिये जाने की वकालत की।
सीएम योगी को लिखे अपने पत्र की कॉपी शेयर करते हुए प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “पूरी दुनिया में कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है: जांच, उपचार, ट्रैकिंग व टीकाकरण यूपी में जांचें बहुत कम हैं। ग्रामीण इलाकों में न के बराबर हैं। टीकाकरण की गति धीमी है। मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र के माध्यम से कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं। आशा है वे इन पर अमल करेंगे।”
पूरी दुनिया में कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है: जांच, उपचार, ट्रैकिंग व टीकाकरण
यूपी में जांचें बहुत कम हैं। ग्रामीण इलाकों में न के बराबर हैं। टीकाकरण की गति धीमी है।
मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र के माध्यम से कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं। आशा है वे इन पर अमल करेंगे। pic.twitter.com/au5neW0MKD
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 27, 2021
प्रियंका गांधी द्वारा भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि, कोरोना शहरों की सीमाओं को लांघ अब गांवों में अपना पैर पसार रहा है। पिछले 20 दिनों में कोरोना के 10 गुना मरीज बढ़े हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जिस ऱफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर न के बराबर है। बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे।
प्रियंका के अनुसार, 23 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं जिसके कारण लोग मजबूरी में एंटीजन टेस्ट पर निर्भर हैं। प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा है कि पूरी दुनिया में कोरोना की ये जंग चार स्तंभों पर टिकी है – जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण। यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हराएंगे?
प्रियंका गांधी ने दिए 10 सुझाव:
- RTPCR जांच की संख्या बढ़ाएं। सुनिश्चित करें कि कम से कम 80% जांच RTPCR द्वारा हों. ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों से उनकी मदद करें।
- सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए।
- आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवाई जाए, ताकि लोगों को सही समय पर शुरूआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और अस्पताल जाने की नौबत ही न आये। जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए।
- ऑक्सीजन के भण्डारण की एक नीति तुरंत बनायी जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भण्डार तैयार हो सके। हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एम्बुलेंस का स्टेटस दिया जाए ताकि परिवहन आसान हो सके।
- सभी बंद किये जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें और युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन-युक्त बेड की उपलब्धता बढ़ाएं। प्रादेशिक सेवा से निवृत्त हुए सभी चिकित्साकर्मियों, मेडिकल व पैरा-मेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाए।
- कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने के बजाये श्मशान, क़ब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए।
- कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं। दूसरी लहर में उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाए ताकि वे भी खुद को संभाल सकें।
- यह सबकी मदद लेने, सबका साथ देने, सबका हाथ थामने का समय है। इस समय आपकी सरकार को लोगों, दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोज़ी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए।
- प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो। प्रदेश की 60% आबादी का टीकाकरण करने के लिए यूपी को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसलिए मैं आपसे बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने का आग्रह करती हूं।