दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के बाद राजधानी की सियासत हर रोज एक नई करवटें बदल रहा है। गठबंधन नहीं होने से अब राजधानी में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए फायदेमंद मानी जा रही है। राजनीतिज्ञों और राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस-आप के बीच गठबंधन न होने के बाद अब बीजेपी एक बार फिर अपनी पुरानी स्थिति में आ गई है।
इस बीच ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा कराए गए एक सर्वे में भी बीजेपी को बढ़त मिलता दिख रहा है। ‘जनता का रिपोर्टर’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लोगों से पूछा गया था कि लोकसभा चुनाव 2019 में दिल्ली की लड़ाई में कौन बाजी मार सकता है? दो मई को पूछे गए इस सवाल के जवाब में करीब 10 हजार लोगों ने अपनी राय रखी है। जिसमें 62 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में भी एक बार फिर भगवा पार्टी यानी बीजेपी ही राजधानी में नेतृत्व करेगी।
वहीं, सर्वे में सामने आए परिणाम आम आदमी पार्टी के लिए अच्छे संकेत नहीं है। 29 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया है। 29 प्रतिशत लोगों के मुताबिक, इस बार के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की लड़ाई में आप बाजी मार लेगी। इस सर्वे में कांग्रेस के लिए काफी निराशाजनक परिणाम आए हैं। सर्वे में मात्र नौ प्रतिशत लोगों का मानना है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली में सरकार बना सकती है।
दरअसल, एक दिन पहले शनिवार को सर्वे का नतीजा कुछ और था। शनिवार शाम तक 5,000 मतदाताओं द्वारा किए गए वोट के बाद आम आदमी पार्टी 45 प्रतिशत और बीजेपी 41 फीसदी पर थी, लेकिन शाम होते-होते आखिरी के कुछ घंटों में काफी तेजी से वोटिंग हुई और नतीजे बदल गए। फिलहाल दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।
Who is leading the battle for DELHI in the #LokSabhaElections2019?
— Janta Ka Reporter (@JantaKaReporter) May 2, 2019
दिल्ली में लोकसभा की सभी सातों सीटों पर 12 मई को मतदान होगा। जबकि वोटों की गिनती 23 मई को होगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) द्वारा 18 जनवरी को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के मुताबिक, दिल्ली में 1.36 करोड़ मतदाता हैं। तीनों प्रमुख पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुके हैं।
गठबंधन होता तो कुछ अगल होता परिणाम
बता दें कि दोनों दलों के बीच कई दौर की बातचीत चली लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच गठबंधन नहीं हो सका। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, कांग्रेस-आप के साझा वोटों पर नजर डाले तो बीजेपी सात में से छह सीटों पर पिछड़ रही थी। कईयों का दावा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिल कर लड़ते तो छह पर बीजेपी हार जाती।
कांग्रेस-आप के गठबंधन को काफी अहम माना जा रहा था और यह तय माना जा रहा था कि यदि गठबंधन हुआ तो बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती होगी और बीजेपी एक-दो से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी। हालांकि, अब गठबंधन न होने की स्थिति में बीजेपी फायदे में मानी जा रही है।