गुजरात के बहुचर्चित इशरत जहां कथित ‘फर्जी’ मुठभेड़ मामले में अहमदाबाद की एक विशेष सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) अदालत ने पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन को गुरुवार को बड़ी राहत देते हुए दोनों को आरोपमुक्त कर दिया। गुजरात की बीजेपी सरकार ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसलिए विशेष अदालत ने दोनों को आरोप मुक्त कर दिया। बता दें कि इशरत जहां के कथित मुठभेड़ मामले में दोनों सेवानिवृत्त अधिकारी आरोपी थे।
(File Photo/PTI)समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीबीआई की एक विशेष अदालत में सेवानिवृत्त पुलिस अफसरों डीजी वंजारा और एन के अमीन ने अपने खिलाफ मामले की सुनवाई बंद करने का अनुरोध की याचिका दाखिल की थी। जज जेके पंड्या ने कहा कि चूंकि गुजरात सरकार ने दोनों पर मुकदमे की स्वीकृति नहीं दी, इसलिए कोर्ट मामले को खत्म कर रहा है। दरअसल, सीआरपीसी की धारा 197 के तहत किसी सरकारी कर्मचारी पर मुकदमे के लिए सरकार की स्वीकृति जरूरी है।
Ahmedabad: Special CBI Court of Justice JK Pandya accepts the applications of retired police officers DG Vanzara and NK Amin seeking dropping of proceedings against them in Ishrat Jahan fake encounter. The court had concluded hearing in the case on April 16.
— ANI (@ANI) May 2, 2019
न्यायाधीश पंड्या ने कहा कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 197 के तहत कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है। वंजारा व अमीन के लिए यह बड़ी राहत है। वंजारा ने इस फैसले के लिए अदालत का धन्यवाद किया। वंजारा और अमीन ने कोर्ट से अपील की थी कि इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही को खत्म कर दिया जाए।
दोनों ने अदालत से अनुरोध किया था कि राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की सीबीआई को मंजूरी नहीं दी है, जो सीआरपीसी की धारा 197 के तहत जरूरी है। लिहाजा उनके खिलाफ मामले की सुनवाई को बंद किया जा सकता है। सीआरपीसी की धारा 197 के तहत ड्यूटी के दौरान की गई कार्रवाई के लिए लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी लेना जरूरी होता है।
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को मुंब्रा निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को अहमदाबाद के पास गुजरात पुलिस ने एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। पुलिस ने दावा किया था कि वे सभी आतंकवादी थे और गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने आए थे।