राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव साथ कराने की वकालत करने के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार (30 जनवरी) को इसे एक और ‘‘चुनावी जुमला’’ करार दिया और कहा कि वर्तमान संवैधानिक प्रावधानों के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है।
फाइल फोटोन्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, अपनी पुस्तक ‘स्पीकिंग ट्रूथ टू पावर’ के जारी होने के बाद परिचर्चा में चिदम्बरम ने कहा कि भारत का संविधान किसी भी सरकार को निश्चित कार्यकाल नहीं प्रदान करता है और जब तक उसमें संशोधन नहीं किया जाता है तब तक कोई भी एक साथ चुनाव नहीं करा सकता।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘संसदीय लोकतंत्र में खासकर जब हमारे यहां 30 राज्य हैं, तब वर्तमान संविधान के तहत आप एक साथ चुनाव नहीं करा सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक और चुनावी जुमला है, एक राष्ट्र एक कर जुमला है। अब एक राष्ट्र एक चुनाव भी एक जुमला है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कुछ चुनावों की तारीखें पहले कर और कुछ की आगे बढ़ाकर कृत्रिम तौर पर एक साथ चुनाव (होता हुआ) नहीं कर सकता है। कोई भी व्यक्ति संसदीय चुनाव और पांच छह राज्यों के चुनाव एक साथ करा तो सकता है लेकिन सभी 30 राज्यों के साथ नहीं।
साथ ही उन्होंने कहा कि, ‘‘कल यदि कोई सरकार गिर जाती है तो फिर क्या होगा? क्या आप उसे बाकी चार साल के लिए राष्ट्रपति शासन में रखेंगे, यह नहीं किया जा सकता।’’ चिदम्बरम की पुस्तक को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जारी की।
गौरतलब है कि, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को संसद के दोनों सत्रों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की वकालत की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कुछ समय से इसकी वकालत कर रहे हैं।