राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने अमरनाथ की यात्रा पर अपने फैसले को लेकर हो रही आलोचना के बाद गुरुवार (14 दिसंबर) को साफई देते हुए कहा कि, उसने दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर में कोई ‘साइलेंट जोन’ घोषित नहीं किया है।
FILE PHOTO: Indian Expressन्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि बर्फ से बनी ‘शिवलिंग’ के सामने ही शांति बनाए रखना चाहिए। बता दें कि, इससे पहले खबर आई थी कि एनजीटी ने अमरनाथ गुफा श्राइन की पर्यावरण-संवेदनशीलता को बनाये रखने के लिए इसे साइलेंट ज़ोन घोषित किया और एंट्री पॉइंट से आगे धार्मिक रस्मों पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने पहले कहा था कि अमरनाथ गुफा मंदिर के आसपास के इलाके को ‘साइलेंट ज़ोन’ घोषित करने से हिमस्खलन रोकने और क्षेत्र के ईको सिस्टम को बनाए रखने में मदद मिलेगी। अमरनाथ गुफा मंदिर को हिंदुओं के बड़े पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है, साल में ज्यादातर समय यह गुफा बर्फ से ढकी रहती है। केवल गर्मी में कुछ ही दिन के लिए यहां बर्फ नहीं होती और तब इसे श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।
एनजीटी के इस स्पष्टीकरण से पहले दक्षिणपंथी हिंदू समूह विश्व हिंदू परिषद ने एनजीटी के आदेश का विरोध करते हुए इसे ‘तुगलकी फतवा’ करार दिया था। विहिप ने कहा था कि पृथ्वी पर पारिस्थितिकी संबंधी हर समस्या के लिए हिंदू जिम्मेदार नहीं है।
बहरहाल, पर्यावरणविद गौरी मौलेखी ने एनजीटी के आदेश का स्वागत करते हुए इसे अच्छा और प्रगतिशील बताया, गौरी की ही याचिका पर एनजीटी ने यह आदेश दिया है। गौरी मौलेखी ने कहा कि, अमरनाथ गुफा जिस स्थान पर है वहां का ईको सिस्टम बहुत ही संवेदनशील है।
एनजीटी के आदेशों से न केवल अमरनाथ यात्रा सुरक्षित होगी, बल्कि श्रद्धालुओं को भी सुविधा होगी। इससे पवित्र गुफा का क्षरण होने से बचेगा और यह सुनिश्चित होगा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे, यह बहुत ही अच्छा और प्रगतिशील फैसला है।