भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्‍याओं पर राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जताई चिंता, सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर बोला हमला

0

देश में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने और कानून हाथ में लेने की घटनाओं के मुद्दे पर शनिवार(1 जुलाई) को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़ा बयान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि जब भीड़ का उन्माद बहुत ज्यादा ‘अतार्किक और नियंत्रण से बाहर’ हो जाए तो हमें रुककर विचार करना चाहिए कि क्या हम अपने समय के मूलभूत मूल्यों को बचाने के लिए पर्याप्त रूप से सजग हैं?

फोटो: PTI

उन्होंने बौद्धिक वर्ग से इस मुद्दे पर मुखर और सजग होने की गुजारिश की। राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों की समझदारी और मीडिया की सजगता अंधकार और पिछड़ेपन की शक्तियों के लिए सबसे बड़े निवारक का काम कर सकती हैं। मुखर्जी ने ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र को फिर से पेश किए जाने के अवसर पर राजधानी के जवाहर भवन में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि ‘जब हम अखबारों में पढ़ते हैं या टीवी में देखते हैं कि कानून का पालन या नहीं पालन करने के कारण किसी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जब भीड़ का उन्माद बहुत बढ़ जाता है, अनियंत्रित और अतार्किक हो जाता है तो हमें रुककर इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या हम पर्याप्त रूप से सजग हैं।’

वहीं, इस दौरान मोदी सरकार पर शनिवार को इशारों में हमला बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश की समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा है और देश घरेलू कुशासन के कारण बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती निरंकुशता और धार्मिक कट्टरता के कारण भारत आज दोराहे पर खड़ा है।

सोनिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना उस समय हुई जब राष्ट्रवाद विदेशी शासन के खिलाफ लड़ रहा था। ‘किन्तु घरेलू कुशासन हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है।’ उन्होंने कहा कि ‘ऐसे समय में जब हमारे देश में समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा हो और प्रेस पर सवाल करने के बजाय सराहना और आज्ञापालन के लिए दबाव डाला जा रहा हो, पूरी ताकत से सत्य बोलना हमारे युग की अनिवार्यता है।’

राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि मैं चौकसी के नाम पर भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने की बात नहीं कर रहा हूं। मैं बात कर रहा हूं कि क्या हम सक्रिय रूप से अपने देश के बुनियादी सिद्धान्तों की रक्षा के प्रति सजग हैं?’ उन्होंने कहा कि हम इसे सहन नहीं कर सकते। बुद्धिमत्ता हमसे स्पष्टीकरण मांगेगी कि हम क्या कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मैं भी अपने से यह सवाल करता था जब मैं एक युवा विद्यार्थी के रूप में इतिहास को पढ़ता था। राष्ट्रपति ने कहा कि निरंतर सजगता ही स्वतंत्रता का मूल्य है। यह सजगता कभी परोक्ष नहीं हो सकती। इसे सक्रिय होना चाहिए। निश्चित तौर पर सजगता इस समय की आवश्यकता है।

 

 

 

Previous articleHC order likely tomorrow on Virbhadra’s plea in ED case
Next articleSaints to push for Ram temple after Guru Poornima