उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार(23 मई) को शब्बीरपुर में बहुजन समाज पार्टी(बीएसपी) सुप्रीमो मायावती का कार्यक्रम शुरू होने से पहले और फिर खत्म होने के बाद यह जिला एक बार फिर जातीय हिंसा की चपेट में आ गया। इस दौरान दलितों और राजपूतों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें सात लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
Photo: NDTVबता दें कि एक महीने के अंदर सहारनपुर में यह हिंसा की तीसरी बड़ी घटना है। इस बीच मायावती ने मंगलवार को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव का दौरा किया, इसी गांव में पिछले दिनों दलित समाज के लोगों के घर जलाए गए थे।सहारनपुर में बसपा सुप्रीमो के निकलते ही फिर से बवाल हो गया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसपी सुप्रीमो मायावती के दौरे के बाद शब्बीरपुर से लौट रहे BSP कार्यकर्ताओं की गाड़ी पर जाति विशेष के लोगों ने हमला कर दिया। गाड़ी में सवार लोगों को मारा गया और उनकी गाड़ी तोड़ दी गई। इस हिंसा में सात लोग घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शांति की अपील करते हुए हिंसा में मारे गए युवक के प्रति शोक संवेदना प्रकट की है और भरोसा दिलाया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। वहीं, भड़की जातीय हिंसा और हालात को काबू करने के लिए योगी सरकार ने बड़े अफसरों की एक पूरी टीम भेजी है। स्थिति संभालने के लिए आनन फानन में मंगलवार रात चार बड़े अफसर लखनऊ से सहारनपुर के लिए रवाना किए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक, मायावती के शब्बीरपुर पहुंचने से पहले ही कुछ दलितों ने कथित तौर पर ठाकुरों के घर पर पथराव करने के बाद आगजनी की थी। वहीं, माया के जाने के बाद प्रतिशोध में ठाकुरों ने दो स्थानों पर डेढ़ दर्जन से अधिक दलितों पर तलवार से ताबड़तोड़ हमले किए।
गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी। जिसके बाद देर शाम बसपाइयों ने फिर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जमकर तोड़फोड़ व हंगामा किया। जिसके बाद शब्बीरपुर के अलावा उससे सटे गांव चंद्रपुरा में भी दोनों समुदाय आमने-सामने आ गए और दोनों के बीच गोली-बारी भी हुई।
इससे पहले मायावती ने शब्बीरपुर गांव पहुंची, जहां उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान मायावती ने दलितों के घर जले देखें तो बहुत दुख जताया। इस दौरान मायावती ने सीधे तौर पर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि सहारनपुर में बवाल बीजेपी ने ही कराया है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि सहारनपुर में पहला दंगा 20 अप्रैल को हुआ था। तब सहारनपुर से बीजेपी के एमपी राघव लखनपाल आंबेडकर जयंती का जुलूस बिना इजाजत निकाल रहे थे। उसमें हिंसा भड़क गई थी। जिसके बाद जिले के शब्बीरपुर गांव में महाराजा प्रताप जयंती के अवसर पर डीजे बजाने को लेकर ठाकुरों(राजपूत) और दलित समाज में 5 मई को बड़ा संघर्ष हुआ।
दलितों ने कथित तौर पर गांव से शोभायात्रा निकालने का विरोध किया और शोभायात्रा पर पथराव कर दिया। इस दौरान एक राजपूत युवक की मौत हो गई। शोभायात्रा पर पथराव की सूचना आसपास के गांवों के ठाकुर समाज के लोग भी वहां पहुंच गए। दोनों ओर से पथराव के साथ-साथ फायरिंग और तोड़फोड़ शुरू हो गई। इसके बाद शब्बीरपुल गांव के दलितों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई।इस दौरान दलितों के 60 से ज्यादा मकान जला दिए गए थे और कई वाहन फूंक दिए थे। इसके बाद दलितों की भीम आर्मी की तरफ से इस घटना का विरोध किया गया था। वहीं, पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए 9 मई को सहारनपुर में इकट्ठा हुए दलितों का पुलिस से संघर्ष हो गया था। इस दौरान सहारनपुर में नौ जगहों पर हिंसा हुई।
इस मामले में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को नामजद किया गया। जिसके विरोध में 21 मई को हजारों दलितों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। वहीं, 23 मई को एक बार फिर दलितों और ठाकुरों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें सात लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से बाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई।