एलोपैथिक दवाओं और डॉक्टरों पर अपने विवादित बयानों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के संस्थापक और योग गुरू बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। इस बीच, बिहार के एक कोर्ट में बुधवार को रामदेव के खिलाफ परिवाद दायर किया गया है। जिसमें मांग की गई है कि योग गुरु पर आधुनिक चिकित्सा और इसके चिकित्सकों के खिलाफ उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी के मद्देनजर उनपर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए।
File Photo: PTIसूबे के मुजफ्फरपुर जिले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में ज्ञान प्रकाश द्वारा अपने वकील सुधीर कुमार ओझा ने परिवाद पत्र दायर किया है। परिवाद पत्र में उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान के संयोजक रामदेव आरोप लगाया है कि 21 मई को बाबा रामदेव ने विभिन्न टीवी चैनलों पर एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान को ‘स्टुपिड’ करार देते हुए कोरोना से हुई डॉक्टरों की मौत का मजाक उड़ाया है।
परिवाद पत्र में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए जा रहे टीकाकरण अभियान का भी मजाक उड़ाया है। साथ ही लोगों में टीकाकरण को लेकर पनप रहे भ्रम को बढ़ावा दिया है। मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने कोरोना काल में बाबा रामदेव के खिलाफ देश में भ्रम फैला कर लोगों के बीच अपने प्रोडक्ट्स को बेचने का आरोप लगाया।
यहां कार्यवाहक सीजेएम शैलेंद्र राय की अदालत के समक्ष दायर याचिका में रामदेव के बयानों को “धोखाधड़ी” करार दिया गया है और आपदा प्रबंधन अधिनियम के अलावा देशद्रोह और धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी की धाराओं को लागू करने की मांग की गई है। मामले की सुनवाई सात जून को होगी।
गौरतलब है कि, पतंजलि समूह के संस्थापक रामदेव कोरोनो वायरस टीकों सहित चिकित्सा की एलोपैथिक प्रणाली के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों को लेकर विवादों में घिरे हुए है। रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच कोरोना महामारी में एलोपैथ और आयुर्वेदिक दवा पर तकरार जारी है।