बीजेपी शासित राज्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार(1 जून) को मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ जहां, अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने पर नाराज किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी। जिस वजह से आम उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा। वहीं, महाराष्ट्र में कर्जमाफी और अन्य मुद्दों पर मुख्यमंत्री से बातचीत विफल रहने के बाद किसानों ने फैसला किया था कि बाजारों में सब्जियां व दूध नहीं बेचेंगे। किसानों का फैसला है कि एक हफ्ते तक मंडियों में दूध-सब्जी की सप्लाई नहीं की जाएगी। किसानों ने मुंबई और सतारा में दूध ले जा रहे टैंकरों को रोककर हजारों लीटर दूध सड़क पर बहा दिया। इस बीच किसानों को रोकने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा।
Maharashtra: Farmers go on indefinite strike after talks with CM over waiving of loans failed;spilled milk on highway in Ahmednagar district pic.twitter.com/qj18baAfK4
— ANI (@ANI) June 1, 2017
जबकि मध्य प्रदेश में प्रदर्शनकारी किसानों ने इंदौर और उज्जैन समेत पश्चिमी मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में दूध लेे जा रहे वाहनों को रोका और दूध के कनस्तर सड़कों पर उलट दिए। उन्होंने अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति कर रहे वाहनों को भी रोक लिया और इनमें लदा माल सड़क पर बिखेर दिया।
किसानों के विरोध प्रदर्शन से इंदौर की देवी अहिल्याबाई फल-सब्जी मंडी और संयोगितागंज अनाज मंडी समेत पश्चिमी मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में कारोबार पर बुरा असर पड़ा। किसानों ने मंडियों के भीतर कारोबारी प्रतिष्ठानों के सामने हंगामा भी किया।

किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों में शामिल मध्य प्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने पीटीआई से कहा कि हमने सोशल मीडिया पर इस आंदोलन का आह्वान किया था और इससे किसान अपने आप जुड़ते चले गये। प्रदेश की मंडियों में भाव इस तरह गिर गये हैं कि सोयाबीन, तुअर (अरहर) और प्याज उगाने वाले किसान अपनी खेती का लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन को इंदौर, उज्जैन, देवास, झाबुआ, नीमच और मंदसौर जिलों के किसानों का समर्थन मिल चुका है। किसान नेता ने कहा कि हम अपने आंदोलन के जरिये उस सरकार को संदेश देते हुए जमीनी हकीकत से रू-ब-रू कराना चाहते हैं, जो किसानों की आय दोगुनी करने के वादे करती है।
वहीं, महाराष्ट्र में किसान क्रांति जन आंदोलन कोर कमेटी के मेंबर धनंजय जाधव ने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार देर रात किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था। इस दौरान वह करीब दो घंटे तक यह गिनाते रहे कि उनकी सरकार ने किसानों के लिए क्या-क्या किया है।
#WATCH: Milk spilled on road in Shirdi as farmers go on indefinite strike in Maharashtra. pic.twitter.com/sjVpFLBuMZ
— ANI (@ANI) June 1, 2017
दैनिक भास्कर के मुताबिक, जाधव ने बताया कि हमने कर्जमाफी पर फैसला करने को कहा तो उन्होंने एक महीने का वक्त मांगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने पक्का वादा नहीं किया, लिहाजा हमने हड़ताल पर जाने का फैसला किया। जाधव का दावा है कि उनके हड़ताल में 80 प्रतिशत किसान शामिल होंगे। बता दें कि यह पहली बार है जब पूरे महाराष्ट्र में किसान एक साथ हड़ताल पर गए हैं।