देश में आर्थिक मंदी की ख़बरों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के राजकोषीय घाटे को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को एक बेहद ‘चिंताजनक’ अवस्था की तरफ धकेल रहा है।
फाइल फोटो: रघुराम राजनइकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान रघुराम राजन ने यह टिप्पणी की। रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट का कारण अर्थव्यवस्था को लेकर दृष्टिकोण में अनिश्चितता है। उन्होंने कहा, ‘पिछले कई साल तक अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय स्तर पर सुस्ती आई है। साल 2016 की पहली तिमाही में विकास दर 9% रही थी।’
भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। अप्रैल-जून तिमाही में देश की विकास दर छह साल के निचले स्तर 5% पर पहुंच गई है और जुलाई-सितंबर तिमाही में इसके 5.3% के आसपास रहने की संभावना है।
मूडीज ने हाल ही में 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर गुरुवार को 5.80 प्रतिशत कर दिया। मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं।
रिजर्व बैंक ने भी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.10 प्रतिशत कर दिया है। मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि नरमी का कारण निवेश में कमी है जो बाद में रोजगार सृजन में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय संकट के कारण उपभोग में भी प्रभावी हो गया। उसने कहा, ‘‘नरमी के कई कारण हैं और इनमें से अधिकांश घरेलू हैं तथा दीर्घकालिक असर वाले हैं।’’