राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांस मीडिया के दावे पर फिर मचा बवाल, कांग्रेस बोली- ‘क्या पीएम मोदी देश को देंगे जवाब?’

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कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे में एक भारतीय बिचौलिये को 11 लाख यूरो (करीब 9.5 करोड़ रुपये) का भुगतन किए जाने के दावे संबंधी फ्रांसीसी मीडिया की एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को कहा कि इस विमान सौदे की निष्पक्ष और गहन जांच होनी चाहिए। कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के राफेल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, इसलिए खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सफाई देनी चाहिए।

राफेल

बता दें कि, फ्रांस की समाचार वेबसाइट मीडिया पार्ट ने एक बार फिर से राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार की आशंकाओं के साथ कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। वेबसाइट ने दावा किया गया है कि राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट को भारत में एक बिचौलिए को एक मिलियन यूरो ‘बतौर गिफ्ट’ देने पड़े थे। फ्रांसीसी मीडिया के इस खुलासे के बाद एक बार फिर दोनों देशों में राफेल की डील को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि फ्रांस के एक समाचार पोर्टल ने अपने नए खुलासे से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इस रुख को सही साबित किया है कि राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। भाजपा और सरकार की तरफ से इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, अतीत में उन्होंने देश के इस सबसे बड़े रक्षा सौदे में किसी भी तरह अनियमितता से कई बार इनकार किया है।

सुरजेवाला ने कहा कि फ्रांसीसी पोर्टल की एक खबर के मुताबिक, फ्रांसीसी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी (एएफए) ने खुलासा किया है कि 2016 में इस विमान सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद राफेल की निर्माता कंपनी दसॉं ने एक भारतीय बिचौलिया इकाई-डेफसिस सॉल्यूसंस को 11 लाख यूरो का कथित तौर पर भुगतान किया था। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या इस मामले की पूरी और स्वतंत्र जांच कराने की जरूरत नहीं है? अगर घूस दी गई है जो यह पता लगना चाहिए कि भारत सरकार में किसे पैसा दिया गया।’’

कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश को जवाब देंगे?’’ सुरजेवाला ने कहा कि इस पैसे को दसॉं ने ‘ग्राहकों को उपहार’ पर किए गए खर्च के रूप में दिखाया है। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार, अगर किसी तरह के बिचौलिये या कमीशन का सबूत मिलता है तो फिर इसके गंभीर दंडात्मक नतीजे होंगे तथा आपूर्तिकर्ता पर प्रतिबंध, अनुबंध को रद्द करने, भारी जुर्माना लगाने और प्राथमिकी दर्ज किए जाने तक के कदम उठाए जा सकते हैं। सुरजेवाला ने सवाल किया कि रॉफेल की निर्माता कंपनी के खिलाफ ये कदम उठाए जा सकते हैं?

बता दें कि, राफेल डील को लेकर पिछले कई सालों से भारत में राजनीति गर्म रही है और फ्रेंच वेबसाइट के खुलासे के बाद एक बार फिर से हंगामा होना तय माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था। भारत के कई राज्यों में अभी चुनाव चल रहे हैं, लिहाजा विपक्ष राफेल डील को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को फिर से घेरने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस ने राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि जिस लड़ाकू विमान को यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपए में लिया था उसे एनडीए सरकार ने 1670 करोड़ प्रति विमान की दर से लिया। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया था कि सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2019 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले की जांच की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमें नहीं लगता है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में किसी एफआईआर या जांच की जरूरत है। अदालत ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल सौदे की प्रॉसेस और सरकार के पार्टनर चुनाव में किसी तरह के फेवर के आरोपों को बेबुनियाद बताया था। (इंपुट: भाषा के साथ)

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