उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 5 नेताओं को जेल भेजना महिला पुलिस अधिकारी को भारी पड़ गया है। जी हां, सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में जेल भेजने वाली सीओ श्रेष्ठा ठाकुर का शनिवार(1 जुलाई) को बुलंदशहर के स्याना पुलिस थाने से तबादला कर बहराइच भेज दिया गया। योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

इस बीच सीओ श्रेष्ठा ठाकुर ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। ठाकुर ने अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट के जरिए करारा जवाब देते हुए लिखा, ‘जहां भी जाए गा, रौशनी लुटाए गा। किसी चराग का अपना मकां नहीं होता।’ ठाकुर ने सीधे तौर पर तो इस मामले में कुछ नहीं बोली हैं, लेकिन उनका यह पोस्ट सीधे तौर पर योगी सरकार द्वारा तबादला से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि महिला अधिकारी ठाकुर ने एक हफ्ते पहले स्थानीय बीजेपी नेता और अन्य पांच नेताओं को पुलिस कार्यवाही में दखल देने और पुलिस अधिकारी से बदतमीजी करने के आरोप में जेल भेज दिया था। इतना ही नहीं, हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ठाकुर के तबादले के बाद स्थानीय नेता इसे अपना सम्मान मान रहे हैं।
साथ ही बीजेपी नेता आला पुलिस अधिकारियों से महिला अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती राज्य में बिगड़े कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करना है। क्योंकि आए दिन उन्हीं के पार्टी नेताओं की गुंडागर्दी की खबरें सामने आ रही हैं। यूपी में खराब कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार लगातार विरोधी पार्टियों के निशाने पर है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, घटना पिछले महीने 22 जून की है, जहां बुलंदशहर के सयाना सर्कल के पास ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर अपनी टीम के साथ गाडियों की चैकिंग कर रही थी। इस दौरान गाड़ी के जरुरी दस्तावेज न होने पर पुलिस ने एक बीजेपी नेता का चालान काट दिया।