राजस्थान में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस के बीच ट्विटर वॉर शुरू हो गया है। इसकी शुरूआत तब हुई जब भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के पुराने जख्मों को कुरेदने का प्रयास किया, जिसपर खुद कांग्रेस नेता ने पलटवार किया है।
राजेंद्र राठौड़ ने मंगलवार (8 जून) को ट्वीट कर कहा था, “आखिर मन का दर्द होठों पर आ ही गया। ये चिंगारी कब बारूद बनकर फूटेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट जी ने अहम भूमिका निभाई थी। सुलह कमेटी के पास मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं। ना जाने कब क्या हो जाए…”
राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सचिन पायलट ने लिखा, “प्रदेश के भाजपा नेताओं को व्यर्थ बयानबाज़ी की बजाय अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आपसी फूट व अंतर्कलह इतनी हावी है कि राज्य मे भाजपा विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही। इनकी नाकाम नीतियों से देश में उपजे संकट में जनता को अकेला छोड़ने वालों को जनता करारा जवाब देगी।
प्रदेश के भाजपा नेताओं को व्यर्थ बयानबाज़ी की बजाय अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आपसी फूट व अंतर्कलह इतनी हावी है कि राज्य मे भाजपा विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही।
इनकी नाकाम नीतियों से देश में उपजे संकट में जनता को अकेला छोड़ने वालों को जनता करारा जवाब देगी। https://t.co/HnYaR9yd57— Sachin Pilot (@SachinPilot) June 8, 2021
दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच पिछले साल जबरदस्त तकरार हुई थी। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी के गठन के 10 महीने बीत जाने के बाद भी कमेटी अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाई है।
कांग्रेस की तीन सदस्यीय सुलह कमेटी की अब तक रिपोर्ट नहीं आने पर कांग्रेस में एक बार फिर विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं। पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट ने उनसे किए गए वादे पूरे नहीं होने पर नाराजगी जताई है।
बताया जा रहा है कि सचिन पायलट ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि 10 महीने हो गए हैं और उनसे किए वादे पूरे नहीं किए गये हैं। उन्हें समझाया गया था कि सुलह कमेटी तेजी से एक्शन लेगी। लेकिन सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए रात-दिन मेहनत की और अपना सब कुछ लगा दिया था उनकी सुनवाई ही नहीं हो रही है।