गुजरात के जामनगर की एक अदालत ने गुरुवार (20 जून) को बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट (55) को लगभग 30 साल पहले (1990) हिरासत में हुई मौत (कस्टोडियल डेथ) से जुड़े एक मामले में दोषी करार देते हुए गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में एक और पुलिस ऑफिसर प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है। भट्ट को पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था।
फैसला सुनाते हुए जामनगर जिला व सत्र न्यायाधीश डी.एम.व्यास ने भट्ट व तत्कालीन कांस्टेबल प्रवीण सिंह झाला पर हत्या का दोषी करार दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, भट्ट ने जामनगर के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर जामजोधपुर शहर में 1990 में हुए दंगे के दौरान 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लेने के आदेश दिए थे। हिरासत से मुक्त किए जाने के बाद इनमें से एक प्रभुदास वैष्णानी की अस्पताल में मौत हो गई थी।
प्रभुदास के भाई अमरुत वैष्णवी ने संजीव भट्ट के खिलाफ मुकदमा किया था और उन्होंने हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि भट्ट के हिरासत के दौरान उनके भाई की पिटाई की गई थी। मृतक के भाई अमृत वैष्णानी ने इस मामले में भट्ट समेत आठ पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाते हुए मामला दर्ज कराया था। अब करीब 20 साल बाद अदालत ने भट्ट को दोषी ठहराते हुए गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपी और तत्कालीन कांस्टेबल प्रवीण झाला को भी उम्रकैद की सजा दी गई।
BJP ने भट्ट के साथ तस्वीर शेयर कर की राहुल गांधी को घेरने की नाकाम कोशिश
कोर्ट द्वारा संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय आईटी सेल के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करने की नई-नई तरकीब खोजने में लीन हो गए। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को जब कुछ नहीं मिला तो उन्होंने भट्ट के साथ राहुल गांधी की एक पुरानी तस्वीर शेयर कर कांग्रेस को घेरने की नाकाम कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया पर वे खुद ट्रोल गए।
A man is known by the company he keeps… #SanjivBhatt pic.twitter.com/LszM1Umrvc
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 20, 2019
दरअसल, अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में जो तस्वीर किया है, उसमें चार लोग दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर में राहुल गांधी के साथ संजीव भट्ट और दो अन्य व्यक्ति दिखाई दे रहे हैं। मालवीय ने जैसे ही यह तस्वीर शेयर की सोशल मीडिया पर उनके आलोचक यूजर्स की तरफ से प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई। मालवीय के इस तस्वीर के जवाब में कांग्रेस समर्थक और भाजपा के आलोचक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आसाराम, नीरव मोदी, ललित मोदी और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पुरानी तस्वीरें शेयर कर पलटवार कर रहे हैं।
देखें, लोगों की प्रतिक्रियाएं:
For @amitmalviya with Pictorial proof pic.twitter.com/wTAdRfnIAO
— Farrookh (@farrookh) June 20, 2019
Pic 1) #NarendraModi, #AmitShah , LK Advani with Babu Bajrangi
Pic 2) #NarendraModi with self-confessed Hindutva terrorist Swami Aseemanand.#SanjivBhatt #ReleaseSanjivBhatt
? pic.twitter.com/RqAViRC1ic— ?? & ✋ Forever!!! (@INCdilse) June 20, 2019
So True. pic.twitter.com/lqZRfUHiE7
— Prash ?? (@prashant4121) June 20, 2019
A coward is known by the partner he keeps…#AsaramJhasaram pic.twitter.com/aVzJa8PUjf
— Sania Maan (@DrSaniaMaan) June 20, 2019
True pic.twitter.com/h23mh9Z1UW
— Supariman™ (@SupariMan_) June 20, 2019
Yeah agree with you… pic.twitter.com/ZNiQhdRDRR
— इमोसनल अत्याचार (@AshwinVyas03) June 20, 2019
Exactly
Bhakts say these are photoshopped. Maybe you can clear the air bro. pic.twitter.com/alKoJc0V9m— Shreesha Sreenivas (@shreeshagowda_) June 20, 2019
mr @RahulGandhi with ips officer @sanjivbhatt … and u will get list of criminals with amit shah narendra modi yogi adityanath amd many more bjp leaders!!! @amitmalviya get well soon broo!!! https://t.co/ANSFmbr1rA
— usama tanwar (@usamatanwar) June 20, 2019
Certainly…The company is most telling in this.. pic.twitter.com/poXjqIbNqa
— Vishnu Sasidharan (@Ulloor) June 20, 2019
A man is known by the company he keeps… #SanjivBhatt pic.twitter.com/J6JXBLB0Yg pic.twitter.com/wFBEmqOTTH
— khan zahed (@khanzahed5) June 20, 2019
अपनी सँगत सुधारें
— manu rest in peace (@manukalsi1) June 20, 2019
बिल्कुल ठीक कहा pic.twitter.com/cYoOZ0VTlR
— बेरोज़गार भारतीय (@sans_loy) June 20, 2019
बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर गुजरात के 2002 के दंगों के दौरान दंगाई के खिलाफ पुलिस पर नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाने वाले भट्ट को लंबे समय तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण 2011 में निलंबित किया गया था और अगस्त 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था।
उन्होंने इस मामले में 12 जून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर 10 अतिरिक्त गवाहों के बयान लेने का आग्रह किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। राज्य की भाजपा सरकार ने इसे ऐसे समय में मामले को विलंबित करने का प्रयास करार दिया था, जब निचली अदालत फैसला सुनाने वाली थी।