किसानों की खुदकुशी की घटनाओं के मामले में शिवराज सरकार सड़क से लेकर सदन तक विपक्ष के निशाने पर है।मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सरकार ने सदन में बताया कि राज्य में पिछले 13 साल में 15,129 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है।
पीटीआई की ख़बर के मुताबिक, मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2004 से वर्ष 2016 के दौरान प्रदेश में 15,129 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। साथ ही उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने यह आंकडे़ दिये हैं।
ख़बरों के मुताबिक, आंकडों के अनुसार वर्ष 2004 में 1638 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने खुदकुशी की, जबकि वर्ष 2005 में 1248, वर्ष 2006 में 1375, वर्ष 2007 में 1263, वर्ष 2008 में 1379, वर्ष 2009 में 1395 एवं वर्ष 2010 में 1237 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की।
इसी तरह वर्ष 2011 में 1326 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने खुदकुशी की, जबकि वर्ष 2012 में 1172, वर्ष 2013 में 1090, वर्ष 2014 में 826, वर्ष 2015 में 581 एवं वर्ष 2016 में 599 किसानों एवं खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की।
बता दें कि अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग के दौरान छह किसानों की मौत हो गई थी, जिसको लेकर सियासी संग्राम जारी है। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में किसानों की आत्महत्या का मामला थमने का नाम नही ले रहा है।