एस्सेल समूह के चेयरमैन और हिंदी समाचार चैनल ‘जी न्यूज’ के संस्थापक व मालिक सुभाष चंद्रा के स्वामित्व वाली जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड ने मानहानिकारक आलेख प्रकाशित करने के आरोप में ‘द वायर’ पोर्टल के संचालक फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, जी मीडिया ने वकील विजय अग्रवाल के माध्यम से फाउंडेशन और गुलाम शेख बुदान, अनुज श्रीनिवास, एम. के. वेणु, सिद्धार्थ वरदराजन और सिद्धार्थ रोशनलाल भाटिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499,500 और 109 के तहत सात फरवरी को मुकदमा दायर किया।
जी मीडिया द्वारा यह मुकदमा राजधानी दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद की अदालत में दायर किया गया। इस अपराध में दो साल तक कारावास के दंड का प्रावधान है। मामले में ‘द वायर’ पर मुख्य आरोप 24 जनवरी 2019 को प्रकाशित उस आलेख को लेकर है, जिसमें जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड पर कथित झूठे व मानहानिपरक आरोप लगाए गए हैं। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 मार्च तय की है।
क्या है मामला?
दरअसल, पिछले महीने जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। यह खबर आई कि एस्सेल ग्रुप नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद कथित तौर पर काला धन सफेद करने में शामिल थी। इसके बाद इस ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी जी एंटरटेनमेंट का शेयर इंट्रा-डे में 33 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। शेयर बाजार में हंगामा होने के बाद सुभाष चंद्रा को एक ‘खुले पत्र’ के जरिए बैंकर्स, एनबीएफसीज और म्यूचुअल फंड से उनकी ‘उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने’ को लेकर माफी मांगनी पड़ी थी।
सुभाष चंद्रा ने एक ओपन लेटर लिखा था। जिसमें कुछ नकारात्मक और बाहरी ताकतों का जिक्र किया गया था, जिनकी वजह से जी इंटरटेनमेंट के स्टेक्स प्रमोटरों को नुकसान पहुंचा। चंद्रा ने बैंकर्स, एनबीएफसीज और म्यूचुअल फंड से उनकी ‘उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने’ को लेकर माफी मांगने के कुछ ही घंटे पहले जी समूह के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटल) में 14,000 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई थी।
कंपनी की एंटरटेनमेंट इकाई के शेयरों में उन मीडिया रिपटों के बाद 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जिसमें बताया गया कि जी समूह की प्रमोटर कंपनी एस्सेल समूह नोटबंदी के तुरंत बाद कथित मनी लांड्रिंग में शामिल रही थी। द वायर ने इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। द वायर ने लिखा था कि सार्वजनिक रूप से जो दस्तावेज उपलब्ध हैं उन्हीं के आधार पर यह छानबीन की गई है।