यशवंत सिन्हा ने मनीष तिवारी और केजरीवाल के साथ साझा किया मंच, PM मोदी के शल्य वाले बयान पर किया पलटवार

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भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के साथ मंच साझा किया। इस दौरान पीएम मोदी के शल्य वाले बयान पर जवाब देते हुए कहा कि आजकल महाभारत में शल्य के चरित्र की चर्चा है, महाभारत में और भी चरित्र हैं, 100 कौरव थे, लेकिन हर कोई सिर्फ दो को जानता है दुर्योधन और दुशासन।

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दरअसल, पीएम मोदी पर लगातार जुबानी हमला करने वाले पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा गुरुवार(5 अक्टूबर) को कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी की किताब ‘टाइडिंग्स ऑफ ट्रबल्ड टाईम्स’ के विमोचन के मौके पर पहुंचे थे। बता दें कि सिन्हा मोदी सरकार को आर्थिक मुद्दों पर लगातार घेर रहे हैं।

सिन्हा ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोगों ने ‘शल्य’ का जिक्र किया। पता नहीं कितने लोग ‘शल्य’ के बारे में जानते होंगे। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि शल्य को दुर्योधन ने धोखे से अपने पक्ष में किया था। कौरव सौ भाई थे लेकिन दुर्योधन और दुःशासन को छोड़कर किसी को न तो आप जानते हैं और न ही मैं।

यशवंत ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए पूछा कि अब इससे ज्यादा भी कुछ कहने की जरूरत है क्या? वहीं, इस मौके पर सीएम केजरीवाल ने यशवंत सिन्हा की जमकर तारीफ की। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने सच बोलने की हिम्मत दिखाई। इस दौरान सिन्हा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि पार्टी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती है तो यह उनके जीवन का सबसे अच्छा दिन होगा।

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता अनिल बलूनी कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम में जाकर साबित कर दिया है कि उन्हें अर्थशास्त्र का ज्ञान कहां से मिल रहा है और वो कौरवों के साथ हैं। सिन्हा यह बात उस सवाल के जवाब मे कही, जब उनसे कहा गया कि कहीं पार्टी उन पर विपक्षी नेताओं के साथ मंच साझा करने पर कार्रवाई न कर दे।

बता दें कि आर्थिक नीतियों की हो रही आलोचनाओं का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के समारोह में कहा कि हम विकास के लिए और बड़े फैसले लेंगे। पीएम ने बिना नाम लिए यशवंत सिन्हा पर हमला बोलते हुए कहा था कि कुछ लोग कर्ण के सारथी शल्य की तरह निराश करने का काम करते हैं। ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। इन्हें एक तिमाही में भी जीडीपी की गिरावट बहुत बड़ी लगती है।

 

 

 

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