भारत में जारी ‘मी टू’ अभियान (यौन उत्पीड़न के खिलाफ अभियान) के लपेटे में आए केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री एम.जे.अकबर की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। महिला पत्रकारों के एक पैनल ने केंद्रीय मंत्री एम.जे.अकबर को बर्खास्त करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है। आपको बता दें कि अकबर पर ‘मीटू मूवमेंट’ के तहत दर्जनभर महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
[File: Sonu Mehta/Getty Images]समाचार एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक नेटवर्क ऑफ वुमेन इन मीडिया इन इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने सोमवार (16 अक्टूबर) को राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में कहा, “हम बेहद चिंतित हैं कि वह केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मंत्री पद पर बने हुए हैं।” पत्र के अनुसार, “आप इस बात से सहमत होंगे कि यह अनैतिक और अनुचित है। इस तरह से उनके कथित कुकर्मो की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है।”
एनडब्ल्यूएमआई ने कहा कि एक आपराधिक मानहानि का आरोप उन लोगों को धमकाने और चुप करने का स्पष्ट प्रयास है जो शक्तिशाली पदों पर बैठे पुरुषों द्वारा महिलाओं संग उत्पीड़न करने वालों को सामने ला रहे हैं। पत्र में कहा गया, “यह महिलाओं को खामोश रहने की स्थिति में वापस धकेलने के लिए बुना गया है और उन लोगों की भी आवाज को खामोश कर देगा जिन्होंने अभी तक बात नहीं की है।” पैनल ने मांग की है कि अकबर को एक स्वतंत्र जांच में सहयोग देना चाहिए और विदेश मंत्रालय को उसे जांच होने तक पद से बर्खास्त करना चाहिए।
अकबर ने किया मानहानि का मुकदमा
आपको बता दें कि विदेश राज्यमंत्री एम. जे.अकबर पर सबसे पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मंत्री ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। अकबर ने विदेश यात्रा से रविवार को लौटने के बाद अपने ऊपर 10 से अधिक महिलाओं के लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए धमकी दी थी कि वह इस मामले में मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
उन्होंने सोमवार (15 अक्टूबर) को अपने वकील संदीप कपूर के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत प्रिया के खिलाफ पटियाला कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया। उनके वकील ने याचिका में कहा है कि अकबर देश के सम्मानित पत्रकार रहे हैं और इस पेशे में उनका लंबा करियर रहा है। उन्होंने देश का पहला राजनीतिक समाचार साप्ताहिक निकला था, उनके मुवक्किल के खिलाफ प्रिया रमानी ने बेबुनियाद मनगढ़ंत और ओछे आरोप लगाए हैं जिससे उनकी छवि और गरिमा को धक्का पहुंचा है। इस तरह यह उनकी मानहानि का मामला बनता है।
गौरतलब है कि मानहानि के मामले में दो साल की सजा या दंड अथवा दोनों का प्रावधान है। याचिका में कहा गया है कि अकबर के खिलाफ सोशल मीडिया में इस तरह के आरोप लगाने से उनके मुवक्किल की छवि को परिवार समाज और मित्रों में ठेस पहुंची है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। अकबर पर प्रिया रमानी के अलावा गजाला वहाब, अंजू भारती, शुत्पा पॉल, शुमा रहा समेत कई महिला पत्रकारों ने यौन शोषण एवं प्रताड़ना के आरोप लगाए थे।
सबसे पहले रमानी ने ही मंत्री पर देश में चल रहे ‘मी टू’ अभियान के बीच यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके बाद करीब दर्जन भर महिला पत्रकारों ने अकबर पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लगाया है, जिसके कारण विदेश राज्यमंत्री को पद से हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इन महिलाओं का आरोप है कि ‘द एशियन एज’ और अन्य प्रकाशनों के संपादक की हैसियत से अकबर ने उनका यौन-उत्पीड़न किया। हालांकि अकबर ने सभी आरोपों को झूठा और निराधारा बताया है।
‘मी टू’ अभियान ने पकड़ा तूल
आपको बता दें कि भारत में जारी ‘मी टू’ अभियान (यौन उत्पीड़न के खिलाफ अभियान) तूल पकड़ता जा रहा है। कई अन्य महिलाएं अपने अनुभवों को सार्वजनिक तौर पर शेयर कर रही हैं। अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाए जाने के बाद अब अलग-अलग इंडस्ट्री की बाकी हस्तियों ने भी अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है।
फिल्म इंडस्ट्री से ‘मी टू’ अभियान की शुरुआत होने के बाद इसकी चपेट में मीडिया जगत भी आ गया है और इसकी लपटें मोदी सरकार के एक मंत्री को अपने लपेटे में ले रही हैं। अपने समय के मशहूर संपादक व वर्तमान में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर पर 9 वरिष्ठ महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए हैं। इन महिलाओं ने उन पर तमाम मीडिया संस्थानों में संपादक रहते हुए यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
नाना पाटेकर के बाद जहां डायरेक्टर विकास बहल, सिंगर कैलाश खेर, लेखक चेतन भगत, अभिनेता रजत कपूर, मॉडल जुल्फी सैयद, अभिनेता आलोक नाथ, हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक प्रशांत झा, रघु दीक्षित, कमेंटेटर सुहेल सेठ, महिला कॉमिक स्टार अदिति मित्तल, बॉलीवुड के शोमैन सुभाई घई, फिल्ममेकर साजिद खान, लेखक-निर्देशक पीयूष मिश्रा और बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी भी ‘मी टू’ की चपेट में आए हैं, जिनपर यौन उत्पीड़न, बदसलूकी, गलत तरीके से छूने जैसे आरोप लगे हैं।