देश की सबसे बड़ी जांच एजेसी केंद्रीय जांच ब्यूरों यानी सीबीआई पर आरोप लगा है कि वो कथित तौर पर नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल का फोन टैप कर रही थी। दिल्ली हाईकोर्ट में आई एक याचिका में सनसनीखेज आरोप लगा है कि सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर के कार्यकाल में बिना इजाजत डोभाल के फोन टैप किए गए थे, वो भी बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के।
सीबीआई के कथित डोभाल की फोन टैपिंग मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार और सीबीआई से जवाब मांगा है। इस केस की जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग की गई है। केस से संबंधित दायर याचिका में फोन टैपिंग और टेक्निकल सर्विलांस के लिए दिशा-निर्देश बनाने की भी मांग की गई है। हाईकोर्ट ने सरकार और सीबीआई से 26 मार्च से पहले जवाब देने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन एवं न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी को भी नोटिस जारी किया। साथ ही उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें दलील दी गई कि ऐसी गतिविधियां ‘देश के लिए बहुत खतरनाक’ हैं। याचिका में दावा किया गया कि सीबीआई जब तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच विवाद के दौर से गुजर रही थी, उस दौरान कई अन्य लोगों के फोन भी टैप किए गए थे।
एक वकील की ओर से दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीबीआई के तत्कालीन निदेशक, आलोक वर्मा और विशेष निदेशक के बीच चल रहे विवाद के दौरान डोभाल और अन्य अधिकारियों के फोन टैप किए गए। याचिका दायर करने वाले सार्थक चतुर्वेदी ने आरोप लगाया गया है कि सीबीआई के कुछ अधिकारियों ने फोन टैपिंग एवं सर्विलांस पर मौजूदा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है।
इसमें दावा किया गया कि फोन टैपिंग और तकनीकी निगरानी देखने वाली सीबीआई की विशेष इकाई को एनएसए तथा अस्थाना के बीच हुई बातचीत की सारी जानकारी थी। याचिका में सवाल पूछा गया कि क्या सीबीआई ने डोभाल एवं अन्य की फोन टैपिंग के लिए अनुमति ली थी।