विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेंगू और चिकुनगुनिया के मामलों की विश्वसनीय गिनती के लिए निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को काम पर लगाकर भारत के रोग निगरानी नेटवर्क को मजबूत करने की बात कही. भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि हेंक बेकडम ने देश की निगरानी प्रणाली की निंदा करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि निजी क्षेत्र अस्पतालों और संस्थानों से सूचना जुटाई जाए तथा इन संक्रमणों के बारे में एक बेहतर समझ बने एवं आंकलन हो.
भाषा की खबर के अनुसार,डब्ल्यूएचओ ने निजी स्वास्थ्य क्षेत्र से सहयोग लेने को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि रोग के प्रसार के दौरान यहां तक कि डेंगू के संभावित मामलों को भी दर्ज किए जाने की जरूरत है. साथ ही इस बात का भी जिक्र किया कि मजबूत निगरानी, मच्छर नियंत्रण, शुरूआत में ही रोग का पता लगाना और मामला प्रबंधन तथा जन जागरूकता इन मच्छर जनित रोगों के नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है.
इसने कहा कि भारत में डेंगू और चिकुनगुनिया के लिए निगरानी में फिलहाल उन रोगियों को शामिल किया जाता है जिनमें इसके विषाणु की सरकार द्वारा चिह्नित अस्पतालों की प्रयोगशाला में पुष्टि हुई होती है. इनमें से कई अस्पताल सरकारी क्षेत्र के हैं.
डब्ल्यूएचओ ने निगरानी और प्रयोगशाला क्षमता बढ़ाने में निवेश जारी रखने की भी बात कही. स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के मुताबिक डेंगू से देश भर में 36,110 लोग प्रभावित हुए हैं और 70 जानें गई हैं। इनमें से अधिकतम 24 मौतें पश्चिम बंगाल में हुई हैं.
राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 18 हो गई हैं जबकि इसके मामलों की संख्या 1,100 पार कर गई हैं. एनवीबीडीसीपी के मुताबिक देशभर में चिकनगुनिया के 14,656 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें 9,427 मामले अकेले कर्नाटक में दर्ज हुए हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 12 लोगों की कथित तौर पर चिकनगुनिया से मौत हुई है.