उत्तर प्रदेश के कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्राचार्या डॉक्टर आरती लालचंदानी का एक वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कथित तौर पर डॉ. आरती लालचंदानी असंवैधानिक और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय पर निशाना साधती हैं। साथ ही वह जमातियों को खुलकर आतंकवादी बता रही हैं।
कथित तौर पर डॉ. आरती लालचंदानी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति करते हुए तबलीगी जमात के सदस्यों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का आरोप लगाती है। वायरल वीडियो में प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी कथित तौर पर कुछ लोगों के साथ बातचीत करते हुए देखा जा रहा है, जो पत्रकार लग रहे हैं।
वीडियो में डॉ. आरती कह रही हैं, “ये फर्ज़ी हैं। ये तो आए ही हैं ये करने। ये तो टेररिस्ट (आतंकवादी) हैं। कहना नहीं चाहिए, पर ये टेररिस्ट हैं और इनको हम वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं। खाना-पीना दे रहे, अपनी मैनपावर लगा रहे हैं। अपना रिसोर्स इन पर लगा रहे हैं। अपने डॉक्टरों को बीमार कर रहे हैं, इनके लिए। रोज लाख-सवा लाख होटल बिल पे कर रहे हैं। अगर ये नहीं होते, तो हमारे पास एक मरीज़ था पॉज़िटिव।”
इस बीच, जब वीडियो में एक पत्रकार द्वारा तब्लीगी जमात के सदस्यों से संबंधित उसके भविष्य के कार्य के बारे में पूछा गया, तब वह कहती हैं, “आप लोग इसे कहीं लीक तो नहीं करेंगे, लेकिन मैं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बात करने की योजना बना रही हूं। यहां, कोई नहीं सुनेगा, जिलाधिकारी मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) के आदेशों के अनुसार काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री (मुस्लिम) तुष्टिकरण कर रहे हैं।”
पत्रकारों से बातचीत के विवरण को लीक नहीं करने के लिए कहते हुए वह आगे कहती है, “मुझे आशा है कि आप इसे रिकॉर्ड नहीं कर रहे हैं। उन्हें (तब्लीगी जमात के सदस्यों को) अस्पतालों में भर्ती करना तुष्टिकरण है। जिन्हें जेलों में डाला जाना चाहिए, उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है।”
वह आगे कहती हैं, “मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को आदेश जारी करना चाहिए कि किसी भी संसाधन को जमातियों को नहीं दिया जाना चाहिए… मैंने सीएमओ से भी बात की, जब उन्होंने मुझसे पूछा कि 80 एम्बुलेंस कार्य में लगे हुए थे। मैंने सीएमओ से इन 22 रोगियों को किसी जंगल में भेजने के लिए कहा और उन्हें ‘काल कोठरी’ में बंद कर दिया जाना चाहिए, लेकिन मेरी आवाज को दबा दिया गया… इन 30 करोड़ लोगों के लिए 100 करोड़ लोगों की जान की कीमत पर तुष्टीकरण किया जा रहा है।”
In this viral video, head of Kanpur Medical College is seen making highly objectionable comments about Muslim #covid19 patients. Accuses CM @myogiadityanath of indulging in Muslim appeasement politics. She was the one who had accused Tablighi Jamaar members of spitting last month pic.twitter.com/UhcKBe9A8t
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) May 31, 2020
बताया जा रहा है कि यह वीडियो करीब 70 दिन पुराना है, लेकिन अब यह फेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल हो रहा है। वीडियो की सत्यता को लेकर अभी तक किसी प्रकार की पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन इसके वायरल होने के बाद विवाद छिड़ गया है, जिसमें एक समुदाय विशेष के खिलाफ टिप्पणी करने पर मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
पूर्व सांसद और भाकपा (एम) की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने मामले की निष्पक्ष जांच की भी मांग की और आरोप सही पाए जाने पर डॉक्टर आरती के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सुभाषिनी अली का कहना है कि प्राचार्य असंवैधानिक और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को जो अस्पताल लाए गए थे, उन्हें आतंकवादी बता रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। वीडियो को प्रमाणित करने के लिए निष्पक्ष जांच की जरूरत है और अगर सही पाया जाता है तो जिला प्रशासन को उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
We demand the removal of the principal GSVM medical college। If video is genuine she must be dismissed and prosecuted pic.twitter.com/ziLm6z2Dyw
— Subhashini Ali (@SubhashiniAli) May 31, 2020