माओवादियों से कथित तौर पर संपर्क रखने के आरोपी तेलुगु कवि और कार्यकर्ता वरवर राव को पुणे पुलिस ने एलगार परिषद सम्मेलन के मामले में हैदराबाद से शनिवार (17 नवंबर) को गिरफ्तार कर लिया। राव अब तक हैदराबाद के अपने घर में नजरबंद थे। पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त शिवाजी बोडखे ने कहा कि हैदराबाद हाई कोर्ट द्वारा उनकी नजरबंदी की बढ़ाई गई मियाद 15 नवंबर को समाप्त हो गई।
पुणे पुलिस ने 26 अक्टूबर को सह-आरोपी अरुण फरेरा और वर्नान गोनसालविस को हिरासत में लिया था, जबकि सुधा भारद्वाज को अगले दिन हिरासत में लिया गया था। पुणे पुलिस ने कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, दो अन्य कार्यकर्ताओं वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा को भी 6 नवंबर तक के लिए हिरासत में भेज दिया गया था। पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस और अरुण फेरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
Bhima Koregaon case : Activist Varavara Rao who was arrested yesterday from his residence in Hyderabad, brought to Pune pic.twitter.com/RTeQ8LWVgr
— ANI (@ANI) November 18, 2018
कथित माओवादियों से संबधों की वजह से इन्हें गिरफ्तार किया गया था। पुणे पुलिस ने इन तीनों को कवि पी वरवरा राव और गौतम नवलाखा के साथ 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन से कथित संबंध के मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद ही कथित तौर पर भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़की थी। पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के मओवादी से संबंध हैं।
गौरतलब है कि एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के बाद ही कथित तौर पर भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़की थी। जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। पुलिस ने आरोप लगाया है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादियों से संबंध हैं।