उड़ी आतंकी हमला : आतंकवादियों ने सीढ़ी का इस्तेमाल कर पार की थी नियंत्रण रेखा की बाड़

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पिछले महीने उड़ी में सैन्य के कैंप पर जिन चार पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया था उन्होंने नियंत्रण रेखा पर बिजली के करंट वाली बाड़ सीढ़ी के माध्यम से पार की थी. इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना ने इन चारों आतंकवादियों के घुसपैठ के रास्ते की पहचान के लिए जांच की और वह इस निष्कर्ष पर पहुंची कि सलामाबाद नाले के समीप सीढ़ियों का इस्तेमाल किया गया था।

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इन चारों आतंकवादियों में से एक सलामाबाद नाले के समीप बाड़ में थोड़ी सी खाली जगह का इस्तेमाल कर इस पार आ गया और उसने इस तरफ से बाड़ पर एक सीढ़ी लगा दी जबकि दूसरी तरफ से उसके तीन साथियों ने दूसरी सीढ़ी लगा दी।

दोनों सीढ़ियां उपरगामी पैदल पारपथ की तरह जोड़ दी गई थीं. श्रीनगर से करीब 102 किलोमीटर दूर उरी में इन चारों ने आर्मी कैंप पर दुर्दांत हमला किया था।

Photo courtesy: hindustan times

सूत्रों के अनुसार बाड़ में जिस थोड़ी सी खुली जगह से पहला आतंकवादी इस तरफ आया, उससे सभी चारों के लिए घुसपैठ करना मुश्किल था क्योंकि हरेक के पास भारी मात्रा में गोला बारूद, हथियार एवं खाने पीने की चीजों वाले बड़े-बड़े बैग थे. उन्हें इस तरह बाड़ पार करने में काफी वक्त लगता और उनकी जान को बड़ा जोखिम भी था क्योंकि ऐसा करते वक्त इलाके में नियमित रूप से गश्त करने वाली सैन्य टीमों के उन्हें देख लेतीं।

 आतंकवादियों द्वारा सीढ़ी का इस्तेमाल कर बाड़ पार करने की पहली घटना इसी साल पहले उत्तरी कश्मीर के माछिल सेक्टर में सामने आई थी. उरी हमले के संदर्भ में सेना ने इस घटना की आतंरिक जांच की और उसने उरी के ब्रिगेड कमांडर के सोम शंकर को हटा दिया. प्राथमिक जांच से पता चला है कि आतंकवादी हमला करने से कम से कम एक दिन पहले इलाके में आ गए थे।

समयबद्ध तरीके से सेना की यह जांच पूरी होगी और इसमें भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के उपाय भी सुझाए जाएंगे. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी अब इस तरह घुसपैठ कर रहे हैं कि वे नियंत्रण रेखा को पार करने के बाद प्रथम उपलब्ध सैन्य शिविर या सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकें. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि उच्च चौकसी वाले इस प्रतिष्ठान की बाड़ को एक जगह काटकर आतंकवादी शिविर के अंदर घुसे थे।

सूत्रों के अनुसार इस बात के भी संकेत मिले हैं कि आतंकवादियों को नियंत्रण रेखा के समीप स्थित इस सैन्य शिविर का नक्शा अच्छी तरह मालूम था, शायद यही कारण है कि उन्होंने रसोईघर और भंडारगृह को बाहर से बंद कर दिया ताकि उनमें मौजूद सैनिक आग लगाए जाने से पहले वहां से निकल नहीं पाएं।

भाषा की खबर के अनुसार, जांचकर्ताओं ने यह भी बताया कि चारों आतंकवादी 16-17 सितंबर की दरम्यानी रात को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से घुसे होंगे ओर वे सखदर गांव में ठहरे होंगे जहां से ब्रिगेड मुख्यालय नजर आता है. सुखदर गांव ऐसे स्थान पर स्थित है जहां से निर्बाध ढंग से न केवल सैन्य शिविर नजर आता है बल्कि उसके अंदर सैन्यकर्मियों की गतिविधियां भी दिखती हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जब चारों आतंकवादी भारत में घुस आए तब उन्होंने पहले आतंकवादी द्वारा लाई गई सीढ़ी अपने दो गाइडों मोहम्मद कबीर अवान और बशारत को वापस सौंप दी जो उनके साथ नियंत्रण रेखा तक आए थे ताकि किसी को कुछ पता नहीं चले. सेना गोहलान और समीप के जबलाह गांव में जांच कर रही है क्योंकि उसे संदेह है कि आतंकवादियों ने 18 सितंबर को दुर्दांत हमला करने से एक दिन पहले इन्हीं गांवों में शरण ली होगी. इन आतंकवादियों के हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे और सेना के भारी मात्रा में हथियार एवं गोलाबारूद नष्ट हो गए थे।

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