उड़ी में सैन्य शिविर पर हमले के एक दिन बाद सेना ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि वह इसका करारा जवाब देगी पर इसकी जगह और समय का चुनाव वह अपने हिसाब से करेगी। सेना ने जम्मू कश्मीर के उड़ी में अपने शिविर पर हुए हमले की सोमवार को जांच शुरू कर दी जबकि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि आतंकवादी उड़ी हमले को अंजाम देने से कम से कम एक दिन पहले क्षेत्र में घुसे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर, वित्त मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और अन्य कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में करीब दो घंटे तक उड़ी हमले के बाद कार्रवाई के विकल्पों पर विचार किया। मोदी ने इसके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी भेंट की।
भाषा की खबर के अनुसार, सेना ने सोमवार को कहा कि वह सीमापार से किसी भी तरह के आतंकी हमले, हिंसात्मक और आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता रखती है और इस तरह की किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का सही समय और स्थान पर जवाब देने का अपना अधिकार सुरक्षित रखती है। सेना का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले उड़ी में एक सैन्य शिविर पर आतंकी हमला किया गया था जिसके लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जेईएम को जिम्मेदार ठहराया गया है।
सेना ने कहा कि भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर और अंदरूनी इलाकों में आतंकवादी स्थिति से निपटने में यथेष्ट संयम दिखाया है। हालांकि, आवश्यकता पड़ने पर हम इस तरह की हिंसात्मक और आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने की पूरी क्षमता रखते हैं। हम इस तरह की किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का सही समय और स्थान पर जवाब देने का अपना अधिकार सुरक्षित रखते हैं।
सैन्य आॅपरेशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ सुरक्षा विशेषज्ञ और राजनीतिक नेता पाक के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों को निशाना बनाने की मांग कर रहे हैं। उड़ी में आतंकी हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए और दो दर्जन से अधिक सैनिक घायल हो गए। साल 2013 में भी तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने ऐसा ही एक बयान दिया था जब आठ जनवरी को नियंत्रण रेखा के उल्लंघन के दौरान एक जवान का सिर काट लिया गया था और एक अन्य का गला काट दिया गया था।
हालांकि सेना के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसकी प्रकृति कैसी होगी, इसका खुलासा इस वक्त नहीं किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि इसमें आश्चर्य का तत्व होना चाहिए जो इस वक्त नहीं है क्योंकि पाकिस्तान जवाब देने के लिए तैयार है। भारतीय सेना की भी अपनी रणनीति है और वह अपना काम करेगी। उत्तरी कमान और चिनार के कोर कमांडरों लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा और लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने रविवार को श्रीनगर में पर्रीकर को घटना की और आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए चलाए गए अभियान की जानकारी दी। इसमें यह भी चर्चा हुई कि आतंकवादी किस प्रकार इस इलाके में घुस आए।
रक्षा सूत्रों ने बताया था कि सेना किस प्रकार से हमले का जवाब दे सकती है, इसके बारे में संभावित कार्य योजना को लेकर भी चर्चा हुई। निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा लेकिन यह अत्यधिक गोपनीय होगा। आतंकी हमले के मद्देनजर सरकार बिना सोचे-समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहती, और वह कई विकल्पों पर विचार कर रही है।
सरकार के शीर्ष अधिकारियों के बीच हो रही बातचीत से जुड़े सूत्रों ने कहा कि बहुत जल्दी में बिना सोचे-समझे कोई कार्रवाई नहीं होगी। सूत्रों ने कहा कि उचित योजना, समन्वय और सभी विकल्पों पर विचार करने व सभी को विश्वास में लेने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि पिछले साल म्यांमा के मामले में सेना ने जून, 2015 में मणिपुर में 18 सैनिकों को मारने में शामिल एनएससीएन (के) के उग्रवादियों के खिलाफ सीमावर्ती क्षेत्र में अभियान एक हफ्ते बाद चलाया था। एक सूत्र ने कहा कि हमारे सामने प्रतिकूल पाकिस्तानी तंत्र है। इसलिए हड़बड़ी में कोई कार्रवाई की बात पूरी तरह खारिज की जाती है।
विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने भी कहा कि भावनाओं और आक्रोश में कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। सिंह ने कहा कि सेना की ओर से सतर्कता जरूरी है। कश्मीर के हालात के बारे में सोचना होगा, भावनाओं में बहकर या आक्रोश में आए बिना कार्रवाई करनी होगी।
उड़ी हमले के जवाब में नपी-तुली, बहुस्तरीय और रणनीतिक कार्रवाई करने को दृढ़संकल्पित भारत वैश्विक समुदाय के सामने पाकिस्तान की कलई खोलने की दिशा में काम कर सकता है और इसके लिए वह पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने से संबंधित कार्रवाई योग्य सबूत पेश कर सकता है और उस देश को अलग-थलग करने पर जोर दे सकता है।
भारत उन चारों आतंकवादियों के पाकिस्तानी हथियारों, खाद्य पदार्थों, एनर्जी पेय और जीपीएस ट्रैकरों का इस्तेमाल करने के साक्ष्य भी पाकिस्तान को सौंपने की योजना बना रहा है। आतंकवादी नियंत्रण रेखा से जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने के लिए ये सारी चीजें लाए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर, वित्त मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और अन्य कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में करीब दो घंटे तक इस बारे में विचार-विमर्श किया जिसके बाद सरकार की कार्रवाई के संबंध में संकेत मिले।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सरकार के आला ओहदेदार इस बात को मानते हैं कि भारत को एक नपी-तुली, बहुस्तरीय और रणनीतिक जवाबी कार्रवाई करनी होगी और संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को उजागर करना होगा, जिसकी महासभा का सत्र चल रहा है।
योजना के तहत मिलिट्री आॅपरेशंस के महानिदेशक (डीजीएमओ) उड़ी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता बताने वाले सभी सबूतों को जल्द ही अपने पाकिस्तानी समकक्ष के सुपुर्द करेंगे। बैठक में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को उड़ी में ब्रिगेड के एक मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के मद्देनजर कश्मीर घाटी में मौजूदा हालात पर जानकारी दी। बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मौजूद नहीं थीं।
उधर, सेना ने जम्मू कश्मीर के उड़ी में अपने शिविर पर हुए हमले की सोमवार को जांच शुरू कर दी जबकि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि आतंकवादी उड़ी हमले को अंजाम देने से कम से कम एक दिन पहले क्षेत्र में घुसे थे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जांच समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। इसमें भविष्य में ऐसे हमले रोकने के लिए उपाय सुझाये जाएंगे। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह इस तरह की घुसपैठ अधिक कर रहे हैं जिसमें वे नियंत्रण रेखा से घुसपैठ करते ही सबसे पहले पड़ने वाले सैन्य शिविर या सुरक्षा प्रतिष्ठान को निशाना बनाते हैं।
सूत्र ने बताया कि जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों के एक दिन पहले घुसने की बात पर संदेह इस तथ्य से उत्पन्न हुआ कि उनकी दाढ़ी ऐसी थी जो एक दिन पुरानी हो और आमतौर पर आत्मघाती हमलावर दाढ़ी नहीं रखते। सूत्र ने कहा कि जांच में हमले के संबंध में सभी संभावित चूक पर गौर किया जाएगा और यह पता लगाया जाएगा कि क्या इसे रोका जा सकता था।