बेंगलुरु में मंगलवार(5 सितंबर) शाम वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई। गौरी लंकेश की हत्या को दो दिन बाद गुरुवार(7 सितंबर) को बिहार में एक समाचारपत्र के एक पत्रकार को गोली मार दी गई। इन घटनाओं के बाद भारत में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक सिरे से बहस शुरू हो गई है। जानकारों का कहना है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र पत्रकारों की आजादी के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। गौरी लंकेश की हत्या ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है।
पिछले साल पत्रकारों की सुरक्षा पर निगरानी रखने वाली प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्था सीपीजे द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में भ्रष्टाचार कवर करने वाले पत्रकारों की जान को खतरा हो सकता है। कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की 42 पन्नों की इस विशेष रिपोर्ट में कहा गया था है कि भारत में रिपोर्टरों को काम के दौरान पूरी सुरक्षा अभी भी नहीं मिल पाती है।
इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 1992 के बाद से भारत में 27 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं, जब पत्रकारों का उनके काम के सिलसिले में हत्या कर दी गई। लेकिन किसी एक भी मामले में आरोपियों को सजा नहीं हो सकी है।
रिपोर्ट के अनुसार इन 27 में 50 प्रतिशत से ज्यादा पत्रकार भ्रष्टाचार संबंधी मामलों पर खबरें करते थे।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 17 पत्रकारों की हत्या
सोशल मीडिया पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब तक कुल 17 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। यह रिपोर्ट काफी हैरान करने वाली है। इस सूची में पत्रकार गौरी लंकेश का भी नाम शामिल है। सोशल मीडिया पर एक यूजर द्वारा जारी इस लिस्ट में वर्ष 2013 से लेकर 2017 तक पत्रकारों हुई हत्याओं का लिस्ट है। लिस्ट के मुताबिक, वर्ष 2013 से अब तक कुल 22 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया है।
Under Modi regime 17 Indian Journalists murdered. Despite that RW data duffers resort to shameless whataboutery!
Stats H/t @ARanganathan72 pic.twitter.com/z4lFACgJQ6— Arun Shourie ᶠᵃⁿ (@FeignShourie) September 8, 2017
5 सालों में मारे जा चुके हैं 27 पत्रकार
एनडीटीवी इंडिया वेबसाइट पर छपि एक रिपोर्ट मुताबिक, वेबसाइट कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के अनुसार भारत में वर्ष 1992 से अब तक 27 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। इसमें से सबसे ज्यादा राजनीतिक या फिर क्राइम कवर करने वाले पत्रकार बताए जाते हैं। वेबसाइट ने यह रिपोर्ट कट्टरता के खिलाफ मुखर आवाज बन चुकीं पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद जारी किया है।
दो दिन में दो पत्रकारों को मारी गोली
बता दें कि हिंदुत्ववादी राजनीति पर मुखर नजरिया रखने वाली 55 वर्षीय पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर अज्ञात लोगों द्वारा मंगलवार(5 सितंबर) शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई। जबकि गौरी लंकेश की हत्या को दो दिन बाद गुरुवार(7 सितंबर) को बिहार के अरवल में राष्ट्रीय सहारा समाचारपत्र में काम करने वाले स्थानीय पत्रकार पंकज मिश्रा को दो बाइक सवारों ने गोली मार दी। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।