पिछले काफी समय से आधार और डेटा सुरक्षा को लेकर चर्चा जारी है। दरअसल सरकारी योजनाओं से लेकर नर्सरी में एडमिशन और सिम कार्ड खरीदने तक में आइडेंडिटी के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है। सभी सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। इस बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा की निजी जानकारियां ट्विटर पर लीक होने के बाद अब डेटा सुरक्षा को लेकर नए स्तर से चर्चा शुरू हो गया है।
File Photo: PTIइस बीच भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकार (यूआइडीएआई) ने लोगों को सोशल मीडिया साइट और इंटरनेट पर अपना आधार नंबर साझा नहीं करने की सलाह दी है। यूआइडीएआई ने मंगलवार को लोगों को अपने 12 अंकों वाले आधार नंबर की जानकारी इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सार्वजनिक न करने की सलाह दी। लोगों से दूसरों को चुनौती भी नहीं देने को कहा है। यूआइडीएआइ ने कहा है, ‘इस तरह का कार्य अनुचित है और इससे बचा जाना चाहिए क्योंकि यह कानून के अनुरूप नहीं है।’
Aadhaar number is personally sensitive information like bank account number, passport number, PAN number, etc., which should be strictly shared only on a need basis for a legitimate use for establishing identity and for legitimate transactions. 5/n
— Aadhaar (@UIDAI) July 31, 2018
बता दें कि ट्राई प्रमुख आरएस शर्मा द्वारा शनिवार को अपना आधार नंबर शेयर कर चुनौती देने के बाद ट्विटर पर तूफान आ गया था। दरअसल, शर्मा ने आधार की सुरक्षा का पुख्ता दावा करते हुए 12 अंकों का आधार नंबर जारी कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर इससे सुरक्षा से जुड़ा कोई खतरा है, तो कोई मेरे आंकड़े लीक करके दिखाए। उनकी इस चुनौती के कुछ घंटे बाद ही उनके निजी आंकड़े लीक होने का दावा किया गया।
एक हैकर्स ने शर्मा की कथित तौर पर व्यक्तिगत जानकारी, पैन, मोबाइल नंबर, घर का पता इत्यादि बताना शुरू कर दिया। ट्विटर यूजर ‘एलियट एल्डर्सन’ ने उनका पता, आधार से जुड़ा फोन नंबर, ई-मेल आईडी, जन्मतिथि और उनकी व्हाट्सऐप की तस्वीर भी सार्वजनिक कर दी। हालांकि पता और जन्मतिथि को छुपाकर दिखाया गया। हालांकि शर्मा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह गलत है।
UIDAI ने कहा कि लोगों को इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इस तरह का कदम उठाने से बचना चाहिए। प्राधिकरण ने आगाह किया कि दूसरे के आधार नंबर से आधार सत्यापन करने की कोशिश या किसी दूसरे के आधार का इस्तेमाल आधार ऐक्ट और IPC के तहत एक दंडनीय अपराध है। यह भी कहा गया है कि इस तरह का काम करता हुआ कोई पाया जाता है या दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है तो उसे कानून के तहत सजा हो सकती है। ऐसे में लोग इससे बचें।