मुंबई में उबेर और ओला जैसी कंपनियों को पर्यटक परमिट की किस निति के तहत अनुमति दी जा रही है इस पर मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जबाब माँगा है।
Photo: Dna Indiaएसोसिएशन ऑफ रेडियो टैक्सीज ने एक याचिका दायर की थी जिसमे ओला और उबेर जैसी वेबसाइट और ऐप आधारित टेक्सी कंपनियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति कोलाबावाला की खंडपीठ ने इस पर सरकार से जबाब माँगा है।
याचिका में कहा गया है कि ये कैब कंपनियां पर्यटक परमिट पर चल रही हैं, जबकि राज्य में दूसरी टैक्सियां इलेक्ट्रॉनिक मीटर पर चलती हैं। इसीलिए ओला और उबेर के किरायों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं हैं। इस पर राज्य सरकार के वकील ने आज अदालत से कहा कि इस मुद्दे पर वे योजना तैयार करने पर विचार कर रहे है।
NDTV की खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा,”ये उबेर और ओला कैब,टैक्सी स्टैंड पर नहीं रूकती, इस पर अनुमति नहीं है, वे आपके नियमों का पालन नहीं करतीं। आपको (सरकार) इस पर विस्तार से जानकारी देने की है।इन कैब सेवाओं पर निगरानी रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। ये सब कब शुरू हुआ? आपने सड़कों पर केवल कारों की भीढ़ बढ़ा दी है, जिससे सडको पर अफरा..तफरी है।”
इस पर पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर करे, जिसमें दिखाया गया कि किस नीति के तहत ऐसी कैब को चलने की अनुमति दी जाती है। इस पर अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख दो सितम्बर तय की है।