मई 2014 के बाद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री का प्रभार संभाला है, तब से सोशल मीडिया पर एक अलग तरह का माहौल तैयार कर दिया गया है। एक अभियान के तहत सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया जा रहा है। हालात यह है कि अब सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा भी ऐसा ट्वीट किया जा रहा है जो समझ से परे है। हैरानी की बात यह है कि इस अभियान में अब सेना को भी घसीटने की पूरी कोशिश हो रही है। इस बीच पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश भी इस लपेटे में आ गए हैं।
दरअसल, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विवटर पर एक शख्स ने अरुण प्रकाश का ध्यान एक तस्वीर की तरफ दिलाया जिसमें एक व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर अपनी गाड़ी पर सेना के कमांडर का झंडा लगाया गया था। इस तस्वीर पर एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश ने लिखा कि यहां तक कि अगर एक नागरिक द्वारा सेना के कमांड के प्रतीक का दुरुपयोग एक संगीन अपराध नहीं है, तो उस व्यक्ति को GOCinC द्वारा फंसाया जाना चाहिए जिसका वह ‘वित्तीय सलाहाकार’ है।
अरुण प्रकाश के इस ट्वीट पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा ऐसी प्रतिक्रिया दी गई कि जिसे देखकर सोशल मीडिया यूजर्स हैरान हैं। रक्षा प्रवक्ता ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि एक अधिकारी के कार्यकाल के दौरान अपने निवास में जवानों का दुरुपयोग करने के बारे में क्या कहेंगे? और बच्चों को गोद में उठाकर फौजी द्वारा स्कूल ले जाने के बारे में क्या कहेंगे? सरकारी वाहनों पर मैडम के शॉपिंग अभियान को न भूलें। और अंतहीन पार्टियां… जो इसके लिए भुगतान करती है?”
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा दी गई प्रतिक्रिया पर लोग हैरान हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि अब सरकार के मंत्रालयों में भी ट्रोलर्स का कब्जा हो गया है। हालांकि मोदी सरकार के समर्थक और ट्रोलर्स रक्षा प्रवक्त के समर्थन में आ गए हैं। हालांकि विवाद बढ़ता देख रक्षा प्रवक्ता ने शुक्रवार को अधिकारियों द्वारा सरकारी वाहनों के उपयोग की आलोचना करने पर खेद प्रकट किया। साथ ही उस विवादित ट्वीट को हटा लिया गया है।
लेकिन सोशल मीडिया पर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के इस विवादित ट्वीट का स्क्रीनशॉट जमकर शेयर हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद और रिपब्लिक टीवी के संस्थापक राजीव चंद्रशेखर ने रक्षा मंत्री और पीएमओ को टैग करते हुए ट्वीट कर लिखा है कि यह रक्षा प्रवक्ता कौन है जो एमओडी का समर्थन करता है। यह आचरण अस्वीकार्य है। इसकी जांच होनी चाहिए। यह अपमान और अहंकार से भरा प्रतिक्रिया है।
Dear @DefenceMinIndia @DrSubhashMoS – who is this “Defence spokesperson” who reprsnts MoD ie govt n talks like this ? ????????????
This is unacceptable conduct n I wud rqst an enquiry into this. This is unconscionable, disrespectful n arrogance tht behooves a response. @PMOIndia https://t.co/oyWbPgb57B
— Rajeev Chandrasekhar ???????? (@Rajeev_GoI) October 26, 2018
देखिए, सोशल मीडिया पर लोगों के रिएक्शन:-
इसके अलावा तमाम वरिष्ठ पत्रकारों ने भी ट्वीट कर रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता को निशाने पर लिया है।
Not the first time an official handle has gone rogue. https://t.co/UOMzzCQ5lA
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) October 26, 2018
Wait.
That ????
Is the
Defence Ministry spokesperson responding to a retired chief of naval staff @arunp2810 pic.twitter.com/XBvnuFIbfg— Jugal / जुगल (@jugalrp) October 26, 2018
What a shameful reply to a former Naval Chief by the Spokesperson of Ministry of Defence. And the government claims they are for the armed forces. pic.twitter.com/xx1Pd1dhWr
— Vasu (@vasudevan_k) October 26, 2018
The tweet was inadvertently done and the same is deeply regretted please.
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) October 26, 2018
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब सरकार के किसी मंत्रालय द्वारा विवादित ट्वीट किया गया हो। इससे पहले 2016 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेल टिकट की कीमतों को लेकर एक ट्वीट किया था। जिस पर एक शख्स ने पलटवार कर केजरीवाल पर निशाना साधा था। लेकिन उस वक्त बवाल तब और बढ़ गया जब रेल मंत्रालय ने उस शख्स के ट्वीट को अपने हैंडल से रीट्वीट कर दिया।
इसके अलावा उसी वर्ष जुलाई में, स्टार्ट अप इंडिया के समर्थन में एक दक्षिणपंथी ट्रोलर्स ने विवादित ट्वीट किया था। हैरानी की बात यह है कि इस घृणास्पद ट्वीट को स्टार्ट अप इंडिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर कर दिया गया था। इसी तरह दिल्ली एयरपोर्ट के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा किया गया एक ट्वीट को लेकर भी बवाल मचा था।
इसी तरह इस साल अगस्त महीने में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग से अंपायरिंग के कोर्स करने में मदद मांगी गई थी। जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर ट्रोल किया था। ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे साबित होता है कि सरकार के कई मंत्रालयों में ट्रोलर्स का कब्जा हो गया है।