तीन तलाक: सुप्रीम कोर्ट में 6 दिन चली सुनवाई के दौरान मुस्लिम जज ने ‘एक शब्द’ भी नहीं कहा

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सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न धर्मों को मानने वाले पांच जजों के संविधान पीठ के सामने तीन तलाक को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार(16 मई) को सुनवाई पूरी हो गई। तीन तलाक पर छह दिन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। फैसला गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई में कोर्ट खुलने पर आने की संभावना है। यह फैसला 20 अगस्त के पहले आ सकता है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऐतिहासिक सुनवाई के दौरान सभी जजों ने सभी पक्षों के वकीलों से सवाल किए, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस पैनल में शामिल मुस्लिम जज जस्टिस अब्दुल नजीर ने छह दिनों की सुनवाई के दौरान ‘एक शब्द’ भी नहीं बोला।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस संविधान पीठ में विभिन्न धार्मिक समुदायों से ताल्लुक रखने वाले न्यायाधीश शामिल हैं। जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) के अलावा जस्टिस कुरियन जोसेफ (ईसाई), आरएफ नरीमन (पारसी), यूयू ललित (हिंदू), और इस बेंच की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर (सिख) शामिल हैं।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस अब्दुल नजीर ने छह दिनों तक चली ऐतिहासिक सुनवाई के दौरान किसी भी पक्ष के वकीलों से कोई भी सवाल नहीं पूछा। जबकि, पीठ में शामिल अन्य जजों ने विभिन्न पक्षों के वकीलों से इस्लाम और तीन तलाक से जुड़े कई सवाल पूछे।बता दें कि एक तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) इस बात पर अड़ा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के नियमों की वैधता का परीक्षण कोर्ट नहीं कर सकता, वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता का कहना है कि तीन तलाक मुस्लिम समुदाय पर एक धब्बे की तरह है, जिसकी आड़ में महिलाओं को समान अधिकार से वंचित किया जाता है।

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