सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (29 अक्टूबर) को अयोध्या में जमीन विवाद मामले की एक बार फिर सुनवाई टल गई है। शीर्ष अदालत राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी।
पीठ के दो दूसरे सदस्यों में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ शामिल थे। भूमि विवाद मामले में दीवानी अपील इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर की गई है। पीठ ने कहा, ‘‘हम जनवरी में उचित पीठ के सामने अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करेंगे।’’
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और केंद्र की मोदी सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है। दरअसल, बीजेपी और अन्य हिंदुत्व समर्थकों को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले पर जनवरी के बजाय इसी समय रोजाना सुनवाई शुरू कर दे, ताकी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में आम जनता के सभी मुद्दों को दरकिनार कर राम मंदिर को ही मुख्य मुद्दा बना दिया जाए। हालांकि शीर्ष अदालत ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हिंदुत्व समर्थक भारतीय न्यूज चैनल भी काफी परेशान नजर आए। विशेष तौर से अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ ने तो इशारों-इशारों में अयोध्या की सुनवाई टाले जाने पर सुप्रीम कोर्ट पर ही दबाव बनाता हुआ नजर आया। इतना ही नहीं टाइम्स नाउ की मैनेजिंग एडिटर नविका कुमार अयोध्या विवाद की सुनवाई टलने पर भड़क गईं। सोशल मीडिया पर लोग नविका पर हिंदुओं को उकसाने का आरोप लगाया है।
दरअसल, नविका कुमार ने राम मंदिर पर बहस शुरू करने से पहले कहा कि देवियों और सज्जनों आज मैं आपके सामने कुछ तथ्य पेश कर रही हूं। उन्होंने कहा कि 170 वर्षों से देश भर के हिंदू राम मंदिर का इंतजार कर रहे हैं। फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि उसकी प्राथमिकता में यह मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में मंदिर नहीं है? हिंदू आस्था प्राथमिकता नहीं है?
'Bhakts’ stung by top court. CJI-bench sets a long date, ‘Mandir not priority’ stand. Hindu Astha not a priority?
More details by @navikakumar #RamMandirHeldUp pic.twitter.com/wqaxz1iM0H— TIMES NOW (@TimesNow) October 29, 2018
इसके अलावा टाइम्स नाउ की स्क्रीन पर अविश्वसनीय रूप से भड़काउ शीर्षक फ्लैश किया गया। जिसमें लिखा था कि क्या हिंदू आस्था को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए? सोशल मीडिया पर लोग टाइम्स नाउ और नविका कुमार पर हिंदुओं को भड़काने का आरोप लगाया। वरिष्ठ पत्रकार एमके वेन्यू ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या टाइम्स नाउ जल्दी कार्यवाही के लिए सुप्रीम कोर्ट पर दबाव डाल रहा है? टाइम्स ग्रुप के मालिक विनीत जैन को टैग करते हुए पूचा कि क्या यह टाइम्स ग्रुप की संपादकीय लाइन है?
Shocking that of Times Now anchor/editor should say "Hindus have waited 170 years for Ram Temple and yet SC saying it is not a matter of priority". Is Times Now putting pressure on SC for quicker proceedings? Is this the editorial line of Times Group? @vineetjaintimes
— M K Venu (@mkvenu1) October 29, 2018
‘जनता का रिपोर्टर’ से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सरीम नावेद ने कहा कि टाइम्स नाउ पर अदालत की अवमानना का केस हो सकता है। उन्होंने कहा कि चैनल ने आईपीसी की धारा 124ए, 153ए, 153बी, 292, 293 और 295ए के तहत अपराध किया है।
आपको बता दें कि इससे पहले तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के अपने फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा ना मानने संबंधी टिप्पणी पर पुनर्विचार का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था। अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा था।
तब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि सबूत के आधार पर दीवानी मुकदमे पर फैसला किया जाएगा और इस मुद्दे को लेकर पूर्व का फैसला कोई मायने नहीं रखता। पीठ ने अपीलों पर अंतिम सुनवाई के लिये 29 अक्टूबर की तारीख तय कर दी थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ करीब 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने चार दीवानी मुकदमों में फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था।