भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा एक बार फिर आरक्षण पर सवाल उठाए जाने के बाद नया बवाल शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टियां सुमित्रा महाजन के बयान को बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहती हैं। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लोकसभा अध्यक्ष को सीधे-सीधे चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी में हिम्मत नहीं है जो आरक्षण को छू दे।
आपको बता दें कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में महाजन ने कहा कि अंबेडकर जी ने खुद कहा था कि आरक्षण की जरूरत महज 10 सालों के लिए है। उन्होंने 10 साल के भीतर समतामूलक समाज की कल्पना की थी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। अब भी हम हर 10 साल पर इसे अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा देते हैं।
सुमित्रा महाजन के इस बयान पर तेजस्वी यादव ने सोमवार (1 सितंबर) को ट्वीट कर लिखा, “मैडम स्पीकर, जिस 10 वर्ष समय सीमा की आप चर्चा कर रही है वह विधायिका में आरक्षण की समय सीमा थी, सरकारी सेवाओं में आरक्षण की नहीं। संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति को जानबूझकर देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। किसी में हिम्मत नहीं जो इसे (आरक्षण) छू दें।”
मैडम स्पीकर, जिस 10 वर्ष समयसीमा की आप चर्चा कर रही है वह विधायिका में आरक्षण की समय सीमा थी, सरकारी सेवाओं में आरक्षण की नहीं।
संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति को जानबूझकर देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। किसी में हिम्मत नहीं जो इसे छू दें। https://t.co/BybApahEqd
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 1, 2018
दरअसल, बीजेपी सांसद ने रविवार (30 सितंबर) को एक कार्यक्रम में लोगों से जानना चाहा कि शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण को जारी रखने से क्या देश में समृद्धि आएगी? रांची में आयोजित एक तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन महाजन ने कहा, “अंबेडकर जी का विचार 10 साल तक आरक्षण को जारी रखकर सामाजिक सौहार्द लाना था। लेकिन, हमने यह किया कि हर 10 साल पर आरक्षण को बढ़ा दिया। क्या आरक्षण से देश का कल्याण होगा?” उन्होंने समाज और देश में सामाजिक सौहार्द के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का अनुसरण करने के लिए कहा।
पहले भी आरक्षण पर दे चुकी हैं बयान
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन बीते दिनों एससी-एसटी कानून पर उपजे विवाद के बाद इसे दलितों के हाथ में दिया चॉकलेट बता चुकी हैं। एससी-एसटी एक्ट पर नाराज सवर्णों को समझाते हुए उन्होंने कहा था, “मान लीजिए कि अगर मैंने अपने बेटे के हाथ में बड़ी चॉकलेट दे दी और मुझे बाद में लगा कि एक बार में इतनी बड़ी चॉकलेट खाना उसके लिए अच्छा नहीं होगा। अब आप बच्चे के हाथ से वह चॉकलेट जबर्दस्ती लेना चाहें, तो आप इसे नहीं ले सकते। ऐसा किए जाने पर वह गुस्सा करेगा और रोएगा। लेनिक दो-तीन समझदार लोग बच्चे को समझा-बुझाकर उससे चॉकलेट ले सकते हैं।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “किसी व्यक्ति को दी हुई चीज अगर कोई तुरंत छीनना चाहे, तो विस्फोट हो सकता है।” उन्होंने सम्बद्ध कानूनी बदलावों को लेकर विचार-विमर्श की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “यह सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है कि पहले एक तबके पर अन्याय किया गया था, तो इसकी बराबरी करने के लिए अन्य तबके पर भी अन्याय किया जाए।” लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “हमें अन्याय के मामले में बराबरी नहीं करनी है। हमें लोगों को न्याय देना है। न्याय लोगों को समझाकर ही दिया जा सकता है। सबके मन में यह भाव भी आना चाहिए कि छोटी जातियों पर अत्याचार नहीं किया जाएगा।”