कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर तीखा प्रहार करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा कि जो लोग दूसरों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।
साथ ही उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में हो रहे जुल्म ‘राज्य पोषित अत्याचार का बदतरीन रूप’ दिखाते हैं।पाकिस्तान पर चुटकी लेते हुए सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र में कहा कि हमारे बीच ऐसे देश हैं जहां संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और सजा के डर के बिना जहरीले प्रवचन दे रहे हैं।
उनका इशारा मुंबई आतंकी हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी और जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की ओर था। उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा और पाकिस्तान उसे छीनने का ख्वाब देखना छोड़ दे।’ उन्होंने ऐसे देशों को अलग थलग करने की पुरजोर वकालत की जो आतंकवाद की भाषा बोलते हों और जिनके लिए आतंकवाद को प्रश्रय देना उनका आचरण बन गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को पहली बार संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा, ‘दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते हैं तो भी आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद का। आतंकवादियों को पालना उनका शौक बन गया है। ऐसे शौकीन देशों की पहचान करके उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘हमें उन देशों को भी चिह्नित करना चाहिए जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जलसे कर रहे हैं, जुलूस निकालते हैं, जहांउगलते हैं और उन पर कोई eकार्रवाई नहीं होती। इसके लिए उन आतंकवादियों के साथ वे देश भी दोषी हैं जो उन्हें ऐसा करने देते हैं। ऐसे देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।’ उन्होंने विश्व समुदाय से ऐसे देशों को अलग-थलग करने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर को लेकर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का ‘निराधार आरोप’ लगाने के लिए नवाज शरीफ पर तीखा प्रहार करते हुए सुषमा ने कहा, ‘21 तारीख को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसी मंच से मेरे देश में मानवाधिकार उल्लंघन के निराधार आरोप लगाए थे। मैं केवल यह कहना चाहूंगी कि दूसरों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले जरा अपने घर में झांक कर देख लें कि बलूचिस्तान में क्या हो रहा है और वे खुद वहां क्या कर रहे हैं। बलूचियों पर होने वाले अत्याचार तो यातना की पराकाष्ठा है।’
भाषा की खबर के अनुसार, उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके अपने घर शीशे के बने हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। भारत पर बातचीत के लिए पूर्व शर्त लगाने के पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उसने इस्लामाबाद के साथ किसी शर्त के आधार पर नहीं बल्कि दोस्ती के आधार पर बातचीत शुरू की, लेकिन इसके बदले पठानकोट मिला, उड़ी पर आतंकी हमले के रूप में बदला मिला।
विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरी बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कही कि बातचीत के लिए जो शर्त भारत लगा रहा है, वो हमें मंजूर नहीं है। कौन सी शर्तें? क्या हमने कोई शर्त रख कर न्योता दिया था शपथ ग्रहण समारोह में आने का? जब मैं इस्लामाबाद गई थी, हर्ट आॅफ एशिया कांफ्रेंस के लिए, तो क्या हमने कोई शर्त रखकर समग्र वार्ता शुरू की थी?
जब प्रधानमंत्री मोदी काबुल से चल कर लाहौर पहुंचे थे तो क्या किसी शर्त के साथ गए थे? किस शर्त की बात हो रही है? सुषमा ने कहा कि हमने शर्तों के आधार पर नहीं बल्कि मित्रता के आधार पर सभी आपसी विवादों को सुलझाने की पहल की और दो साल तक मित्रता का वो पैमाना खड़ा किया जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। ईद की मुबारकबाद, क्रिकेट की शुभकामनाएं, स्वास्थ्य की कुशल क्षेम, क्या ये सब शर्तों के साथ होता था?
उन्होंने पूछा, ‘लेकिन इस मित्रता के बदले में हमें मिला क्या पठानकोट, बहादुर अली और उड़ी। बहादुर अली के संबंध में तो जिंदा आतंकवादी हमारे कब्जे में है, जो पाकिस्तान से भारत में किए जा रहे सीमा पार आतंकवाद का जीता जागता सबूत है, लेकिन पाकिस्तान को जब इन घटनाओं के बारे में बताया जाता है, तो वह तुरंत इनकार करके पल्ला झाड़ लेता है। वह शायद सोचता है कि ज्यादा से ज्यादा आतंकी घटनाओं से भारत की भूमि हथियाने के उसके इरादे पूरे हो जाएंगे। मैं भी पूरी दृढ़ता और विश्वास के साथ कहना चाहूंगी कि पाकिस्तान यह सपना देखना छोड़ दे, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।’
विश्व समुदाय के समक्ष आतंकवाद के स्वरूपों को पेश करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘सबसे पहले तो हम सबको ये स्वीकार करना होगा कि आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता है, क्योंकि वह निर्दोष लोगों को निशाना बनाता है, बेगुनाहों को मारता है, वह किसी व्यक्ति या देश का ही नहीं बल्कि मानवता का अपराधी है।
सषमा ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि इन आतंकवादियों को पनाह देने वाले कौन-कौन हैं? क्योंकि आतंकवादियों का न तो कोई अपना बैंक है, न हथियारों की फैक्टरियां, तो कहां से उन्हें धन मिलता है, कौन इन्हें हथियार देता है, कौन इन्हें सहारा देता है, कौन इन्हें संरक्षण देता है? ऐसे ही सवाल इसी मंच से अफगानिस्तान ने ही कुछ दिन पहले उठाए थे।
उन्होंने कहा कि इसीलिए यदि हमें आतंकवाद को जड़ से उखाड़ना है तो एक ही तरीका है- हम अपने मतभेद भुला कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों, उसका मुकाबला दृढ़संकल्प से करें और हमारे प्रयासों में तेजी लाएं। हम पुराने समीकरण तोड़ें, अपनी पसंद और नापसंद एक तरफ रखें, मोह त्यागें, अहसानों को भूलें और एक दृढ़ निश्चय के साथ इकट्ठा होकर इस आतंकवाद का सामना करने की रणनीति बनाएं। ये मुश्किल काम नहीं है।