आज राज्यसभा में सुषमा स्वराज के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएगा विपक्ष, गलत जानकारी देने का आरोप

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भारत की विदेश नीति पर कथित तौर पर सदन को गलत सूचना देने के मुद्दे पर विपक्षी दल आज(4 अगस्त) राज्यसभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता स्वराज के खिलाफ दो विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगे।यह प्रस्ताव कथित तौर पर बानडुंग एशिया अफ्रीका संबंधों पर सम्मेलन और 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे के बारे में गलत जानकारी देने को लेकर दिए जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि सुषमा ने जहां दावा किया था कि उन्होंने बानडुंग सम्मेलन में कोई भाषण नहीं दिया, वहीं विपक्षी दलों ने उनके कथित भाषण को डाउनलोड किया और इसे साक्ष्य के तौर पर पेश करेंगे।

दूसरा विशेषाधिकार प्रस्ताव कथित तौर पर 2015 में मोदी के लाहौर दौरे को लेकर सदन को गलत जानकारी देने को लेकर है, जिसमें दावा किया था कि उसके बाद से कोई आतंकी घटना नहीं हुई। हालांकि, विपक्ष ने इससे इत्तेफाक न जताते हुये कहा कि मोदी के दौरे के तत्काल बाद पठानकोट आतंकी हमला हुआ था और पांच और घटनायें।

विदेश नीति पर सवाल उठाने पर सुषमा स्वराज का पलटवार

बता दें कि भारत की विदेश नीति और सामरिक भागीदारों के साथ तालमेल विषय पर गुरुवार(3 अगस्त) को राज्यसभा में चर्चा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विपक्ष के सभी आरोपों का करारा जवाब दिया। सुषमा स्वराज ने कहा कि ‘नेहरू (प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू) ने निजी सम्‍मान कमाया, प्रधानमंत्री मोदी ने विश्‍व में भारत को सम्‍मान दिलाया।’

सुषमा ने कहा कि भारत ने मोदी सरकार के आने के बाद अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को नई उंचाईयों पर पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमनें कम किया।

इस दौरान विदेश मंत्री कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हम हर संभव संबंधों को बेहतर कर रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी ने संकट के वक्त चीनी राजदूत से मुलाकात की। डोकलाम मुद्दे पर कहा कि ‘सबसे बड़े प्रमुख विपक्षी दल के नेता (राहुल गांधी) ने चीन की स्थिति जानने के लिए भारत के नेतृत्‍व को पूछने के बजाय, चीनी राजदूत से मुलाकात की। आप (आनंद शर्मा) भी उस मीटिंग में मौजूद थे।’

सुषमा ने आगे कहा कि ‘पहले विपक्ष को भारत का दृष्टिकोण समझाना चाहिए था, उसके बाद चीनी राजदूत को बताना चाहिए था कि ये हमारा पक्ष है।’ उन्होंने कहा कि किसी भी समस्‍या का समाधान युद्ध से नहीं निकलता। युद्ध के बाद भी संवाद करना पड़ता है। तो बुद्धिमत्‍ता ये है कि बिना लड़े सब सुलझा लो।

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