विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार (9 जनवरी) को कहा कि कालाधन, नोटबंदी, जीएसटी, आतंकवाद के खिलाफ कदम, गरीबी उन्मूलन की पहल, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी प्रधानमंत्री की पहल यह दर्शाती है कि हम जो कहते हैं, वह करते हैं।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि विश्व में भारत का प्रभुत्व बढ़ रहा है और इसका श्रेय किसी को जाता है, तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। भारत आज वैश्विक एजेंडा तय करने वाला देश बनकर उभरा है। जब प्रधानमंत्री जी-20 में हिस्सा लेने जाते हैं तब कालेधन के विषय को केंद्र में रखकर बात करते हैं ।
विदेश मंत्री ने कहा कि वह इस बारे में सिर्फ कह कर नहीं आते बल्कि जब घर लौट कर आते हैं तब नोटबंदी, जीएसटी जैसी साहसिक पहल का निर्णय करते हैं और दुनिया को यह दिखाते हैं कि हम जो कहते हैं, वह करते भी है। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री जब हैम्बर्ग जाते हैं तब आतंकवाद से कैसे लड़ा जाए, इस बारे में 11 सूत्री एजेंडा पेश करते हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जब टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) पर बोलने जाते हैं तब गरीबी उन्मूलन के विषय को सामने रखते हैं। इसके अलावा भी प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी पहल को आगे बढ़ाने का काम किया।
प्रवासी भारतीय सांसदों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुझाव पर किया गया है। इसमें हिस्सा लेने के लिये 134 प्रतिनिधि अभी मौजूद हैं। इसमें 2 सत्र हैं जिसमें एक सत्र का विषय ‘प्रवासी सांसद: संघर्ष से संसद तक का सफर और दूसरे सत्र का विषय है ‘विश्व में उभरते भारत में प्रवासी सांसद की भूमिका’।
सुषमा स्वराज ने कहा कि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों में ज्यादातर गिरमिटिया देशों के सांसद है। ये ऐसे लोग हैं जिनके पुरखे भोजपुरी और मगधी बोलते थे और एक समझौते के तहत इन्हें ले जाया गया था। इस कार्यक्रम में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया भर के प्रवासी भारतीय सांसदों से भारत की प्रगति में हिस्सेदार बनने और देश के आर्थिक विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने की अपील की।
उल्लेखनीय है कि प्रवासी भारतीय सांसदों का यह पहला सम्मेलन है। साल 2003 में प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार थी। तब यह माना गया था कि चूंकि महात्मा गांधी सबसे प्रमुख प्रवासी थे और वे 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे, ऐसे में 9 जनवरी को प्रवासी भारतीयों को समर्पित किया जाए।